


उजड़े सिंदूर की पुकार के बाद सर्जिकल स्ट्राइक बनी हुंकार क्योंकि एक चुटकी सिंदूर, यह मात्र एक रंग नहीं, यह एक अहसास है, एक अटूट बंधन है जो दो आत्माओं को जन्म जन्मान्तरों के लिए बांध देता है। यह उस वादे की निशानी है जो एक पुरुष अपनी जीवनसंगिनी को देता है – हमेशा साथ निभाने का, हर सुख-दुख में उसका सहारा बनने का। पहलगाम के बर्फीले पहाड़ों पर जब आतंक के काले साये मंडराए और निर्दोषों का रक्त बहा तो कई मांगों का सिंदूर पल भर में धुल गया, कितने सपने राख में बदल गए। उस लाल रंग की पवित्रता लहूलुहान हो गई और उस चीत्कार ने हर भारतीय के हृदय को झकझोर दिया।
कल्पना कीजिए, उस नववधू की आंखों में तैरते हुए भविष्य के रंग, जो पल भर में बेरंग हो गए। उसके हाथों की मेहंदी का लाल रंग अभी उतरा भी नहीं था कि उसके जीवन का साथी, उसका संसार, उससे छीन लिया गया। उस सिंदूर का क्या अपराध था जो उसके माथे पर चमककर उसके सुहाग की रक्षा का वचन देता था?
पहलगाम की उस बर्बरता के बाद, हर भारतीय का हृदय क्रोध और वेदना से भर उठा। उस उजड़े हुए सिंदूर का बदला लेने के लिए, भारत के वीर सपूतों ने अपनी जान हथेली पर रखकर सीमा पार दुबके दुश्मनों को सबक सिखाया। ये सर्जिकल स्ट्राइक सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं है बल्कि हर उस विधवा की सिसकी थी, हर उस अनाथ बच्चे का दर्द था, जिसने अपने पिता को खोया था। वह उस आक्रोश की ज्वाला थी जिसने आतंकवाद के गढ़ में घुसकर उन्हें उनकी कायराना हरकतों का करारा जवाब दिया।
उस एक चुटकी सिंदूर की कीमत अनमोल है, क्योंकि यह सिर्फ एक प्रथा नहीं, बल्कि एक स्त्री का सम्मान, उसके सपने, और उसके जीवन का सार है। पहलगाम के हमले ने उस सार को मिटाने की कोशिश की, लेकिन भारत के वीरों ने अपनी बहादुरी से यह साबित कर दिया कि हमारी बहनों और माताओं के सम्मान पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी। सर्जिकल स्ट्राइक उस अटूट संकल्प का प्रमाण है कि एक भारतीय नारी के आंसू कभी व्यर्थ नहीं जाएंगे, और उसके सिंदूर का अपमान पूरे राष्ट्र का अपमान है जिसका बदला हर कीमत पर लिया जाएगा। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि एक भावनात्मक प्रतिउत्तर है, एक उजड़े हुए सिंदूर की पुकार है जिसे हमारे वीरों ने अपने शौर्य-वीरता से लिखकर अमर कर दिया।