


आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में नींद सबसे ज्यादा नजरअंदाज की जाने वाली चीज़ बन गई है। लोग देर रात तक मोबाइल चलाते रहते हैं, काम करते हैं या सीरीज देखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोज़ाना आधी रात तक जागने की यह आदत आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है?
आधी रात तक जागना क्यों है खतरनाक?
अगर आप रोज़ रात 12 बजे या उसके बाद सोते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं, तो आपकी नींद की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है। यह असर धीरे-धीरे आपके शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और भावनात्मक संतुलन को भी बिगाड़ सकता है।
वजन बढ़ना शुरू हो सकता है
रात में देर तक जागने पर शरीर में घ्रेलिन (भूख बढ़ाने वाला हार्मोन) का स्तर बढ़ने लगता है और लेप्टिन कम हो जाता है। इससे बार-बार भूख लगती है, खासतौर पर तला-भुना और मीठा खाने का मन करता है। देर रात खाया गया खाना शरीर द्वारा अच्छे से पच नहीं पाता और फैट के रूप में जमा हो जाता है, जिससे वज़न बढ़ने लगता है। नींद की कमी से मेटाबॉलिज्म भी धीमा पड़ता है, जिससे कैलोरी बर्न करने की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है।
मूड पर पड़ता है बुरा असर
अपर्याप्त नींद का सीधा असर मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर पर पड़ता है, जो आपके मूड को नियंत्रित करते हैं। इससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा, निराशा और बेचैनी जैसी भावनाएं बढ़ जाती हैं। जो लोग देर रात तक जागते हैं, वे दिनभर थके-थके और नकारात्मक सोच से घिरे रहते हैं। इसका असर रिश्तों, काम की गुणवत्ता और मानसिक शांति पर पड़ता है।
स्ट्रेस लेवल बढ़ सकता है
जब शरीर को पर्याप्त नींद नहीं मिलती, तो उसमें कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है।लगातार बढ़ा हुआ स्ट्रेस हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को भी बिगाड़ सकता है। ज्यादा स्ट्रेस से नींद और भी खराब होती है, जिससे एक नेगेटिव साइकल बन जाता है – कम नींद , ज्यादा स्ट्रेस और भी कम नींद। लंबे समय तक ऐसा चलने पर डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं।
सोचने और एकाग्रता में होती है परेशानी
अच्छी नींद दिमाग को आराम देती है और नए विचारों को प्रोसेस करने में मदद करती है। जब आप रोज़ देर तक जागते हैं, तो मस्तिष्क को पूरी तरह रिचार्ज होने का समय नहीं मिल पाता। इसका असर आपकी मेमोरी, निर्णय लेने की क्षमता और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति पर पड़ता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी चीज़ें भूलने लगते हैं, और काम या पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।