


देश में समय प्रणाली को एकरूप बनाने के लिए भारत सरकार जल्द ही ‘लीगल मेट्रोलॉजी (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) नियम, 2025’ अधिसूचित करने जा रही है। यह जानकारी उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को दिल्ली में ‘राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस ऑन टाइम डिसेमिनेशन’ के दौरान दी। उनका कहना है कि यह पहल देशभर में एक समान समय प्रणाली लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगी।
देश में सिर्फ IST होगा मान्य समय
वर्तमान में देश के कई अहम सेक्टर जैसे बैंकिंग, टेलीकॉम, ट्रांसपोर्टेशन और इंटरनेट विदेशी टाइम स्रोत जैसे GPS टाइम पर निर्भर हैं, जिससे समय में असमानता, डेटा असुरक्षा और बिलिंग में भ्रम जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मंत्री जोशी ने कहा, “अब घड़ियों का मिलान जरूरी है, क्योंकि डेटा आधारित युग में समय में फर्क भारी डिजिटल गड़बड़ी ला सकता है।”
अत्याधुनिक 'एटॉमिक क्लॉक लैब्स' बन रहीं हैं
सरकार ने CSIR-NPL और ISRO के सहयोग से ‘टाइम डिसेमिनेशन प्रोजेक्ट’ शुरू किया है, जिसके तहत अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में अत्याधुनिक एटॉमिक क्लॉक लैब्स स्थापित की जा रही हैं। इन्हें NTP (Network Time Protocol) और PTP (Precision Time Protocol) से जोड़ा जाएगा, जिससे मिलीसेकंड से माइक्रोसेकंड तक की सटीकता मिलेगी।
अब हम होंगे ‘वन नेशन, वन टाइम’" – जोशी
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि भारत अब समय के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियम लागू होने के बाद किसी भी सरकारी, व्यावसायिक या डिजिटल कार्य में विदेशी टाइम ज़ोन का उपयोग मान्य नहीं होगा, जब तक कि सरकार से विशेष अनुमति न हो।
भारत में टाइम ज़ोन का इतिहास
आज भारत एक ही टाइम ज़ोन IST (UTC+5:30) का पालन करता है, लेकिन ब्रिटिश शासन काल में कोलकाता और मुंबई जैसे शहर अलग-अलग समय का अनुसरण करते थे। 1948 तक कोलकाता का स्थानीय समय अलग था। पूर्वोत्तर राज्यों, विशेषकर असम में आज भी सूर्योदय- सूर्यास्त में IST से असमानता के कारण कई संस्थान ‘टी गार्डन टाइम’ (IST से 1 घंटा आगे) का पालन करते हैं।