वृंदावन के प्रसिद्ध संत और आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज अपने सरल जीवन, गहन भक्ति और प्रेरक प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं। उनके आश्रम में रोज़ देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। आम भक्तों के साथ-साथ कई प्रसिद्ध हस्तिया और संत-महात्मा भी उनसे मार्गदर्शन लेने आते रहते हैं।
इसी क्रम में हाल ही में नरेश भैया जी प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे। नरेश भैया जी ‘श्रीमान नारदीय भगवत् निकुंज’ से जुड़े हुए हैं और राधा-माधव की भक्ति के साथ सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। वे विशेष रूप से युवाओं को सत्संग, कथा-वाचन और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से आध्यात्मिक मार्ग से जोड़ने का काम करते हैं।
आश्रम में हुई आत्मीय मुलाकात
नरेश भैया जी के आश्रम पहुंचने पर प्रेमानंद महाराज ने उन्हें स्नेहपूर्वक आसन दिया। दोनों संतों के बीच काफी देर तक आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा हुई। बातचीत के दौरान वातावरण अत्यंत भावपूर्ण हो गया। इसी दौरान एक ऐसा क्षण आया जब प्रेमानंद महाराज की आंखें भर आईं और वे फफक-फफक कर रोने लगे।
क्यों भावुक हो गए प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान कण-कण में विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि पूज्य बाबा जी और पूज्य भाई जी के उपदेशों ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। उन्होंने कहा कि सच्ची भक्ति वही है, जिसमें भक्त भगवान के स्वरूप को पूरे आदर और प्रेम के साथ स्वीकार करता है।