


11 जून, बुधवार को स्ट्रॉबेरी मून नजर आने वाला है, जो एक खास खगोलीय घटना है। इस नाम के बावजूद, चांद का रंग गुलाबी नहीं होगा, बल्कि यह एक सामान्य पूर्णिमा होगी।
क्यों कहते हैं स्ट्रॉबेरी मून?
स्ट्रॉबेरी मून का नाम मूल अमेरिकी जनजातियों और यूरोपीय परंपराओं से लिया गया है। यह नाम वसंत ऋतु के आखिरी फुल मून को दिया जाता है, जब जून-बेयरिंग स्ट्रॉबेरी पककर तैयार हो जाती हैं। कुछ जनजातियां इसे बेरीज राइपेन मून भी कहती हैं।
इस साल का स्ट्रॉबेरी मून क्यों है खास?
इस साल का स्ट्रॉबेरी मून खास है क्योंकि यह मेजर लूनर स्टैंडस्टिल के कारण और भी नीचे दिखाई देगा। यह घटना हर 18.6 साल में होती है और फुल मून के दौरान इसका असर सबसे ज्यादा दिखाई देता है। अगली बार ऐसा फिर से साल 2043 में होगा।
भारत में स्ट्रॉबेरी मून कब और कैसे देखें?
स्ट्रॉबेरी मून 11 जून को दिखाई देगा। भारत में इसे देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के बाद होगा। चंद्रमा दक्षिण-पूर्वी क्षितिज पर नीचे की ओर दिखाई देगा। आप इसे किसी ऐसी जगह से देखें, जहां आस-पास रोशनी कम हो, और दूरबीन या टेलीस्कोप का इस्तेमाल करके इसे और भी करीब से देख सकते हैं।