


जगन्नाथ पुरी में आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से रथ यात्रा शुरू होती है, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इस मौके पर, हम आपको जगन्नाथ मंदिर के 'महाप्रसाद' बनने की अजीब परंपरा के बारे में बताएंगे।
दुनिया की सबसे बड़ी रसोई
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। यहां करीब 500 रसोइए और 300 सहयोगियों के द्वारा रथ यात्रा के दौरान महाप्रसाद तैयार किया जाता है। मुख्य प्रसाद भात है, जो भगवान जगन्नाथ को बहुत प्रिय है।
मिट्टी के बर्तन में बनता है प्रसाद
महाप्रसाद बनाने के लिए बड़े मिट्टी के सात बर्तनों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें एक के ऊपर एक करके रखा जाता है। सबसे ऊपर का बर्तन छोटा और संकरा होता है, जबकि सबसे नीचे का बर्तन सबसे बड़ा होता है। सबसे ऊपर के बर्तन में दाल या खीर जैसी चीजें बनाई जाती हैं।
अद्भुत प्रक्रिया
सबसे ऊपर की हांडी का प्रसाद पहले पकता है, और फिर नीचे के बर्तनों का प्रसाद एक के बाद एक करके पकता है। यह प्रक्रिया बहुत ही अद्भुत है और भगवान जगन्नाथ की कृपा का प्रतीक है।
कभी कम नहीं पड़ता है प्रसाद
सामान्य दिन में रोजाना करीब 20 हजार लोगों के लिए और विशेष दिन में करीब 50 हजार लोगों के लिए प्रसाद बनाया जाता है। लेकिन यहां लाखों की संख्या में भक्त भी पहुंच जाएं, तो भी प्रसाद कम नहीं पड़ता है। हर भक्त को प्रसाद मिलता है, जो भगवान जगन्नाथ की कृपा का प्रतीक है।
मां लक्ष्मी की देख-रेख में पकाया जाता है प्रसाद
कहा जाता है कि प्रसाद को मां लक्ष्मी की देख-रेख में पकाया जाता है। प्रसाद बनने के बाद यहां विमालदेवी के नाम से बने मां पार्वती के मंदिर में सबसे पहले भोग लगाया जाता है, और फिर भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाता है।