दिवाली भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कुल 5 दिनों का होता है, जिसमें प्रतिदिन का अपना विशेष महत्व और मान्यता होती है। बता दें कि, इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य अंधकार से प्रकाश की तरफ जाना और बुराई पर अच्छाई की विजय को मान्यता देना है। तो आइए, इस पर्व के 5 दिनों को विस्तार से समझते हैं।
दीपावली के पांच दिन
धनतेरस (पहला दिन)
धनतेरस, दीपावली महापर्व की शुरुआत करता है। इस दिन विशेष रूप से धन और समृद्धि के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि, इस दिन लोग नए बर्तन, सोना या चांदी खरीदते हैं, ताकि घर में धन और समृद्धि का वास हो। इसके अलावा, इस दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए भी विशेष पूजा की जाती है।
नरक चतुर्दशी (दूसरा दिन) (छोटी दिवाली)
दीपावली के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य नरकासुर का वध करना है। मान्यता है कि, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे 16,000 स्त्रियों को मुक्ति मिली। इस खुशी में घरों में दीप जलाए जाते हैं। लोग इस दिन विशेष रूप से स्नान करते हैं और यमराज के नाम का दीप जलाते हैं।
बड़ी दिवाली (तीसरा दिन) (लक्ष्मी पूजन)
तीसरा दिन बड़ी दिवाली के नाम से जाना जाता है। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि, इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन रात में दीप जलाकर उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को स्वच्छ करते हैं, रंगोली बनाते हैं, और दीयों की रौशनी से सजाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है, क्योंकि वह समृद्धि के देवता हैं।
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा (चौथा दिन)
चौथे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है। लोग इस दिन विशेष रूप से पकवान बनाते हैं और भगवान को भोग अर्पित करते हैं। इस दिन घरों में अन्न का ढेर लगाकर उसकी पूजा की जाती है, ताकि समृद्धि का वास हो।
भाई दूज (पांचवा दिन)
अंतिम दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं और उन्हें तिलक करके मिठाइयां भेंट करती हैं। भाई अपनी बहन के घर जाकर उनके लिए उपहार लेकर आते हैं और उनकी सुरक्षा का संकल्प लेते हैं।
छोटी और बड़ी दिवाली में अंतर
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि के दिन छोटी दीपावली का पर्व मनाया जाता है तथा उसके अगले दिन बड़ी दीपावली का पर्व मनाया जाता है। छोटी और बड़ी दीपावली में अंतर है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। वहीं, कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी धरती पर प्रकट हुई थीं। इसलिए, बड़ी दिवाली के दिन लक्ष्मी मां धरती पर आती हैं और उनके स्वागत के लिए दीप जलाकर विधिवत पूजा की जाती है।
2024 में दिवाली की तिथियां
2024 में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन लोग यमराज के नाम का दीप जलाएंगे। वहीं, बड़ी दिवाली या लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
दीवाली का सांस्कृतिक महत्व
दीवाली केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार एकजुटता, भाईचारे और प्यार का प्रतीक है। लोग इस दौरान एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं, मिठाइयां बांटते हैं, और परिवार के साथ समय बिताते हैं।
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