पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार पितृपक्ष में 16 दिनों के लिए पितर यमलोक से धरती पर आते हैं। ऐसे में पितरों को प्रसन्न करने के लिए परिजनों को उनका श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध कर्म से करने से पितरों के लिए मुक्ति के द्वार खुलते हैं। साथ ही श्राद्ध करने वाले को भी पुण्य मिलता है। पितरों का श्राद्ध करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण में पितृदोष के कारण और इससे होने वालीं समस्याओं के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण में इसका उल्लेख किया गया है कि पितृदोष केवल कुछ वर्षों तक नहीं बल्कि कई पीढ़ियों तक चलता है।
गरुड़ पुराण में पितृदोष से जुड़े कारण और उपाय बताए गए हैं। पितृदोष लगने से व्यक्ति को अपने पितरों की कृपा नहीं मिल पाती है। साथ ही पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति को मेहनत करने के बाद भी तरक्की नहीं मिलती। गरुड़ पुराण में पितरों का श्राद्ध और तर्पण को पितृदोष से मुक्ति का द्वार बताया गया है। पितृदोष कुछ सालों तक नहीं चलता बल्कि कई पीढ़ियों तक चलता रहता है।
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