शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना गया है, जो अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह पवित्र व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त कठिन उपवास का पालन करते हैं और भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस माह प्रदोष व्रत 31 अगस्त, 2024 को भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि यानी आज मनाया जा रहा है, तो आइए इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी जानते हैं।
पूजन समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इसके बाद गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। फिर निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत पर शाम के समय शिव पूजन करना चाहिए। ऐसे में इस दौरान आप भोलेनाथ की विधिवत पूजा करें। शिव जी को प्रिय पुष्प सफेद मदार या आक के फूल चढ़ाए।शिव प्रसाद
ठंडाई, लस्सी और सफेद मिठाई।शिव पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें। पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले मंदिर को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर भगवान शिव की प्रतिमा और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। अलग-अलग फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि चीजें चढ़ाएं। पुरुष शिवलिंग पर जनेऊ चढ़ा सकते हैं, लेकिन महिलाओं को जनेऊ नहीं चढ़ाना चाहिए। फिर सफेद चंदन से देवों के देव महादेव के माथे पर त्रिपुंड बनाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से "महामृत्युंजय मंत्र" का 108 बार जाप करें। इसके अलावा भगवान शिव को अक्षत, मीठा पान, मौसमी फल चढ़ाएं। वहीं महिलाएं सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए माता पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करें। भगवान शिव की आरती से भोलेनाथ की पूजा को पूर्ण करें।भगवान शंकर के प्रिय मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
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