मां का स्वरुप
मां सिद्धिदात्री कमल फूल पर विराजमान हैं और मां चार भुजाओं से युक्त हैं। माता के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले हाथ में शंख सुशोभित है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र सुशोभित है। मां दुर्गा इस रूप में लाल वस्त्र धारण की हुई हैं। मां के इस रूप के आगे ऋषि-मुनि, योग-योगिनियां और देवी-देवता नत-मस्तक हैं।पूजा विधि
नवरात्रि की नवमी तिथि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है। मां सिद्धिदात्री को सफेद कमल का फूल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है।
मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।
मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा बहुत प्रिय है। मान्यता है कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह बहुत प्रसन्न होती हैं।
माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें। फिर अंत में माता रानी की आरती करें।
यदि आपने नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन की मनौती रखा है, देवी माता की पूजा के बाद विधि-विधान से औ निष्ठापूर्वक कन्या पूजन करें, तभी पूजा संपन्न मानी जाएगी।
मां सिद्धिदात्री का उपासना मंत्र
मां सिद्धिदात्री स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा मंत्र: सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
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