त्योहार, पूजा, या किसी भी तरह का अनुष्ठान हो, इन सभी में फूलों का विशेष महत्व है। अक्सर आपने लगभग सभी प्रकार की पूजा पाठ में गेंदे के फूल का इस्तेमाल होते हुए देखा होगा। सनातन धर्म में देवी देवताओं को पूजा के समय पुष्प अर्पित किए जाते हैं। इन सभी पुष्पों में सबसे ज्यादा गेंदे के फूल चढ़ाए जाते हैं। गेंदे के फूलों को ना सिर्फ पूजा में इस्तेमाल किया जाता है बल्कि घर की साज-सज्जा में भी इसका उपयोग किया जाता है। धार्मिक कार्यों में अन्य फूलों की अपेक्षा गेंदें का फूल का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। बल्कि इसकी शुभता का भी विशेष स्थान है। हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान गेंदे के फूल का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाना देखा गया है।
गेंदे के फूल का महत्व
देवी देवताओं की पसंद
गेंदे का फूल पीला और केसरिया रंग में पाया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि ये दोनों रंग भगवान को अति प्रिय होते हैं। इसलिए यह फूल सभी देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है।
बृहस्पति ग्रह से संबंध
ज्योतिष शास्त्र में गेंदे के फूल का संबंध बृहस्पति ग्रह से बताया जाता है। गेंदें के फूल से बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। वह व्यक्ति को विद्या एवं ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ज्ञान और बुद्धि के कारक ग्रह माने गए हैं।
सकारात्मक ऊर्जा का है प्रतीक
इस फूल की माला से तोरन बनाए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे सकारात्मकता ऊर्जा का प्रवाह होता है। इन फूलों को देखकर खुशी होती है। हम लोग तरोजाता महसूस करते हैं।
त्याग का प्रतीक
गेंदे का फूल पीला या हल्का केसरिया रंग का पाया जाता है। जहां यह रंग प्यार के लिए जाना जाता है। वहीं दूसरी तरफ इस रंग को अग्नि जैसे प्रचंड व्यक्तित्व का परिचायक भी माना गया है।
एकता को दर्शाता है
गेंदे के फूल को एकता का प्रतीक भी माना गया है। गेंदे के फूल में बहुत से बीज होती हैं और हर एक बीज में अनेकों पंखुड़ियां। ये सारी पंखुड़ियां एकता को दर्शाती है।
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