सनातन परंपरा में भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली अनंत चतुर्दशी का बहुत महत्व है, क्योंकि इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी का पवित्र त्योहार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। पंचांग के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को है और 10 दिनों की पूजा के बाद भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन भी उसी दिन किया जाएगा। कई जगहों पर अनंत चतुर्दशी के दिन हाथ पर अनंत रक्षासूत्र बांधा जाता है। सबसे खास बात यह है कि इस रक्षासूत्र में कुल 14 गांठें लगाई जाती हैं। इसे अनंत सूत्र भी कहा जाता है और इसका विशेष महत्व माना जाता है।
अनंत सूत्र का महत्व
हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन हाथ पर 14 गांठों वाला रक्षासूत्र बांधा जाता है। यह धागा सूती या रेशमी धागे से बनाया जाता है। अनंत डोरा या रक्षा सूत्र में बंधी 14 गांठें अलग-अलग लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति चौदह वर्षों तक पूरे विधि-विधान से पूजा करके चौदह गांठों वाला धागा बांधता है, उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडव अपना सारा राज्य जुए में हारकर जंगल में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अनंत चतुर्दशी व्रत करने करने की विधि बताई। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने चारों भाइयों और द्रौपदी के साथ इस व्रत को किया और अंत में अनंत सूत्र को अपनाया। अनंत चतुर्दशी व्रत की महिमा से पांडवों को सभी कष्टों से मुक्ति मिल गई।अनंत सूत्र धारण करने का नियम
अनंत चतुर्दशी के दिन पुरुष अनंत धार को अपने दाहिने हाथ पर और महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ पर बांधती हैं।
अनंत डोरे को बांधने से पहले इसे मंदिर में रखा जाता है और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद ही इसे बांधा जाता है।
जिन घरों में अनंत डोरा बांधने की परंपरा है वहां लोग व्रत रखते हैं।
अनंत रक्षा सूत्र को 14 दिनों तक बांधना चाहिए और 14 दिनों के बाद इसे उतारकर पूजा स्थान रख दिया जाता है।
अगर कोई 14 दिन तक धागा बांधकर नहीं रख सकता तो पूजा वाले दिन धागा उतारकर मंदिर में रख दें।
अनंत सूत्र बांधने के बाद 14 दिनों तक शराब या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
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