हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाया जाता है। अक्षय का अर्थ होता है जिसका क्षरण न हो। इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय नवमी का शास्त्रों में बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का खास महत्व बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन आंवले के पेड़ से अमृत बरसता है, इसलिए अक्षय नवमी के दिन आंवले पेड़ के नीचे लोग खाना भी खाते हैं।
अक्षय नवमी पूजा विधि
अक्षय नवमी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें।
अक्षय नवमी के दिन गंगा स्नान या किसी तीर्थस्थल पर स्नान का महत्व है। अगर ऐसा संभव नहीं है तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
इसके बाद कार्तिक की अक्षय नवमी के व्रत का संकल्प भगवान विष्णु के निमित्त लें।
व्रत का संकल्प लेने के बाद आंवले के पेड़ को जल अर्पित करें और इस बात का ध्यान दें की आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
फिर आंवले के पेड़ की सात परिक्रमा करके उसमें लाल या पीला कलावा बांधें।
उसके बाद आंवले के पेड़ की पूजा करें और भगवान विष्णु को हाथ जोड़ कर प्रणाम करें।
इसी के साथ आप विष्णु सहस्त्रनाम का भी पाठ करें इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।
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