श्रावण मास चल रहा है और तीसरा सोमवार निकल चुका है। इस महीने का समापन सोमवार 19 अगस्त को होगा। लेकिन इस सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन यानि कि आज 13 अगस्त को पड़ रहा है। यह व्रत माता गौरी को समर्पित होता है और प्रत्येक सावन सोमवार के बाद आता है। इस दिन विवाहित महिलाएं जीवन साथी और संतान के सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं। वहीं अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत दोनों के लिए ही सौभाग्यशाली है। भविष्यपुराण और नारदपुराण के अनुसार श्रावण मास में मंगलवार के व्रत रखने से सुखों में वृद्धि होती है। इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है।
सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हुई थी
बता दें कि इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हुई थी, जिसकी समाप्ति 19 अगस्त 2024 को होगी। सावन में इस साल कुल 4 मंगलवार पड़ने के कारण 4 मंगला गौरी व्रत भी रखे जाएंगे। तीन मंगला गौरी व्रत पूर्ण होने के बाद अब 13 अगस्त 2024 मंगलवार को चौथा या आखिरी मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। आइये जानते हैं कैसे करें सावन के आखिरी मंगलवार पर मंगला गौरी का पूजन।
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है, जो शाम 04 बजकर 34 तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा। यही नहीं इस दिन अनुराधा नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है, जो कि सुबह 10 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और इस दिन रवि योग भी बन रहा है। ये सभी मुहूर्त पूजा के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं।
पूजा की विधि
व्रत वाले दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नानादि कर पूजाघर की साफ-सफाई करनी चाहिए। पूजा के लिए महिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इसके साथ ही आप हरा, गुलाबी और पीले आदि जैसे रंगों के कपड़े भी पहन सकती हैं। लेकिन सफेद, काले, ब्लू या स्लेटी रंगों के कपड़े न पहनें। पूजा के लिए एक चौकी में मां पार्वती की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें। साथ ही शिवजी और गणेश जी की भी तस्वीर रखें। मां मंगला गौरी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर लगाकर फूल, माला, लौंग, सुपारी, इलायची, पान, लड्डू, फल आदि चढ़ाएं। साथ ही सुहाग का सामान भी मां पार्तवी को चढ़ाएं। इस बात का ध्यान रखें कि, मंगला गौरी की पूजा में माता को अर्पित की जाने वाली सभी सामग्रियों की संख्या 16 होनी चाहिए।
सोलह की संख्या वस्तुएं
मां की पूजा के दौरान सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए। इनमें 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां और मिठाई चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए। पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुननी चाहिए।
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