शरद पूर्णिमा का पर्व आज 16 अक्टूबर बुधवार को है। शरद पूर्णिमा अश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि को रखते हैं। आज अश्विन पूर्णिमा व्रत है। इसमें चंद्रमा की पूजा करते हैं। पूर्णिमा का संबंध चंद्रमा से है क्योंकि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रात में पूरे संसार को प्रकाशित करता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो लोग इस दिन पूजा पाठ करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं।
शरद पूर्णिमा की तिथि
पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी। अगले दिन 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 5 बजकर 5 मिनट पर होगा। पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ समय रात 11 बजकर 42 मिनट से रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस समय पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में अमृत समान औषधीय गुण होते हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खीर को खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखा जाता है, इसके बाद इस खीर का सेवन करने की परंपरा है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। खीर को माता लक्ष्मी का प्रसाद भी माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान खीर का भोग लगाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखने का समय रात में 8 बजकर 40 मिनट से है।
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