शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार, भगवान स्कन्द की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। वहीं, स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। इस कारण इन्हें पद्मासना नाम से भी जाना जाता है। मां का यह स्परूप परम शांति और सुख का अनुभव कराने वाला है। स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए, इससे वे प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि, मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है तथा शत्रुओं का विनाश होता है। देवी के स्वरूप की पूजा करने से भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस बार स्कंदमाता की पूजा 07 अक्टूबर 2024, सोमवार को की जाएगी।
माता का स्वरूप
मां दुर्गा अपने इस स्वरूप में कमल के आसन पर विराजमान हैं। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की ऊपर की भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में और ऊपर वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुए हैं। इसके अलावा उनका वाहन सिंह है।इस विधि से करें पूजा
पूजा से पहले उस स्थान पर माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें, जहां आपने कलश स्थापना की है।
इसके बाद देवी की मूर्ति के सामने कुश के पवित्र आसन पर बैठ जाएं।
इसके बाद कलश और फिर स्कंदमाता की पूजा करें।
पूजा में मां को श्रृंगार का सामान अर्पित करें और प्रसाद में केले या फिर मूंग के हलवे का भोग लगाएं।
स्कंदमाता की पूजा कुमकुम, अक्षत से करें, चंदन लगाएं, तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं।
पूजा के अंत में माता की आरती करें।
हाथ में स्फटिक की माला लें और इस मंत्र का कम से कम एक माला यानि 108 बार जाप करें।
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