मौनी अमावस्या का पवित्र पर्व 29 जनवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रयागराज के महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान और उसके बाद दान करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। यह महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। महाकुंभ में स्नान के दौरान पांच डुबकी लगाने का विशेष महत्व बताया गया है।
5 डुबकी लगाने की विधि
पहली डुबकी
पहली डुबकी लगाने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्नान करें। इससे पहले गंगा, यमुना, सरस्वती और जल देवता को प्रणाम करना चाहिए। यह डुबकी आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
दूसरी डुबकी
दूसरी डुबकी भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। इसे लगाने से कुल देवता और इष्ट देवता की कृपा प्राप्त होती है।
तीसरी डुबकी
तीसरी डुबकी उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। इससे भगवान शिव, माता पार्वती, सप्त ऋषियों और गुरुओं का आशीर्वाद मिलता है।
चौथी डुबकी
चौथी डुबकी पश्चिम दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। यह किन्नर, यक्ष, गरुड़ और 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्रदान करती है।
पांचवीं डुबकी
अंतिम डुबकी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। यह डुबकी पूर्वजों की आत्मा की शांति और कल्याण के लिए होती है। इन पांच डुबकियों के माध्यम से श्रद्धालु सभी देवी-देवताओं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह स्नान जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
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