15 जनवरी को स्वतंत्र भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले इंडिविजुअल एथलिट केडी जाधव (KD Jadhav) की 97वीं जयंती मनाई जाती है। आज रविवार को Google ने डूडल बनाकर केडी जाधव को याद किया है। केडी जाधव ओलंपिक पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले इंडिविजुअल एथलिट थे। सन् 1952 में हेलसिंकी में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
कौन है KD Jadhav
केडी जाधव का जन्म आज ही के दिन यानी 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के गोलेश्वर नामक गांव में हुआ था। जादव ने 10 साल की उम्र से ही अपने पिता (जो एक पहलवान भी थे) से प्रशिक्षण लेना शुरु कर दिया था। जादव बाकी रेसलर के मुकाबले कद काठी में काफी छोटे थे, केडी सिर्फ 5 फुट 5 इंच के थे लेकिन इसके बावजूद भी वह अपने से बड़े पहलवानों को बड़ी ही आसानी से हरा देते थे।
KD का ओलंपिक सफर
1952 से पहले कोल्हापुर के महाराज की नजर जाधव की प्रतिभा पर पड़ी थी। उन्होंने लंदन में 1948 के ओलंपिक खेलों में जाधव को आर्थिक मदद देने का फैसला लिया था। जादव अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती नियमों से परिचित नहीं थे ना ही उन्होंने किसी अनुभवी पहलवान के साथ प्रतिस्पर्धा की थी लेकिन बावजूद इसके जादव लंदन ओलंपिक में छठे स्थान पर रहे थे, जो उस वक्त भारतीय पहलवान के लिए बड़ी बात थी।
लंदन ओलंपिक के बाद से जादव ने अपने पिता के साथ-साथ अन्य पहलवानों से भी प्रशिक्षण लेकर कई राज्य में जाकर राष्ट्रीय खिताब जीते थे। हालांकि, घुटने की चोट के कारण हेलसिंकी ओलंपिक में जीतने के बाद भी जाधव अपने कुश्ती करियर को जारी नहीं रख सके। उन्होंने बाद में एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम किया।
पुरस्कार से किया गया सम्मानित
1984 में उनकी मृत्यु के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मरणोपरांत उन्हें छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया। 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कुश्ती स्थल का नाम भी उनके सम्मान में रखा गया। इसके अलावा केडी के जन्मस्थान गोलेश्वर में, एक सार्वजनिक चौराहे पर एक संरचना में पांच अंगूठियां आपस में जुड़ी हुई हैं, जो उनके गांव के ओलंपिक के अधिकारों के बारे में बताती हैं। साथ ही उनके घर को भी ओलंपिक निवास के रूप में जाना जाता है।
भले ही सरकार ने केडी जाधव को मरणोपरांत कई पुरस्कार से सम्मानित किया, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि इक्का दुक्का पुरस्कार के आलावा जादव को आज भी वह सम्मान नहीं मिला है जिसके वह असल में हकदार है।
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