चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत में अब एक माह से भी कम समय बचा है, और इस बीच एक बड़ी चुनौती सरकार के सामने खड़ी हो गई है। यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों में इक्वाइन इन्फ्लुएंजा नामक संक्रामक रोग की पुष्टि हुई है। यह रोग न केवल पशुओं के लिए खतरनाक है, बल्कि इससे यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों की सेहत भी खतरे में पड़ सकती है¹।
सरकार की तैयारियां और कदम
इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने तत्काल प्रभाव से कई कदम उठाए हैं। यात्रा मार्ग पर चलने वाले सभी घोड़े और खच्चरों के सैंपल लिए जा रहे हैं और उनकी जांच की जा रही है। इसके अलावा, बाहर से आने वाले घोड़े-खच्चरों को भी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र और इक्वाइन इन्फ्लुएंजा की निगेटिव रिपोर्ट के बिना उत्तराखंड में प्रवेश नहीं मिलेगा।
सीमावर्ती इलाकों में जांच अनिवार्य
सीमावर्ती इलाकों में पशु रोग नियंत्रण चौकियों पर हर घोड़े-खच्चर की जांच अनिवार्य कर दी गई है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी संक्रमित पशु यात्रा मार्ग में न पहुंच सके।
संक्रमित पशुओं के लिए क्वारंटीन केंद्र
रुद्रप्रयाग जिले में क्वारंटीन केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि संक्रमित पशुओं को अलग रखा जा सके और उनका इलाज किया जा सके। यात्रा मार्ग में किसी भी संक्रमित पशु के पाए जाने पर तत्काल उसे अलग कर उपचार दिया जाएगा।
दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के आदेश
सरकार ने जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के आदेश भी दिए हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि संक्रमित पशुओं का इलाज करने के लिए सभी आवश्यक दवाएं उपलब्ध हों।
स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग की संयुक्त निगरानी
राज्य सरकार इस संक्रमण को गंभीरता से ले रही है, क्योंकि चारधाम यात्रा के दौरान हजारों घोड़े-खच्चर तीर्थयात्रियों को लाने-ले जाने का काम करते हैं। ऐसे में संक्रमण फैलने से रोकना सर्वोच्च प्राथमिकता है। स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग संयुक्त रूप से इस पर निगरानी रखेंगे।
पशुधन प्रसार अधिकारी का बयान
पशुधन प्रसार अधिकारी सुभाष रावत ने बताया कि सभी घोड़े और खच्चरों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं और उन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद ही उन्हें यात्रा के लिए अनुमति दी जाएगी।
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