उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में विकास की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। ताजा मामला उत्तरकाशी के यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र के दो गांव नकोडा और कपोला का है, जहां 70 वर्षीय एक बुजुर्ग को बीमारी की हालत में ग्रामीणों को कंधों पर उठाकर अस्पताल तक ले जाना पड़ा।
सड़क की अनुपलब्धता ने बढ़ाई मुश्किलें
इन दोनों गांवों में सड़क की अनुपलब्धता के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को डोली बनाकर कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ता है, जो कि एक बहुत ही दर्दनाक और खतरनाक स्थिति है।
दर्जनों लोगों ने ऐसे ही दम तोड़ दिया है
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां लोगों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और उनकी जान चली गई। यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि दर्जनों लोगों ने ऐसे ही दम तोड़ दिया है।
डिलीवरी के मामलों में बढ़ जाती है परेशानी
सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब कोई डिलीवरी का मामला होता है। ग्रामीणों को मजबूरन एक महीने पहले ही गांव छोड़कर बड़कोट और अन्य शहरों में किराए पर कमरा लेना पड़ता है ताकि समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके।
चुनाव का बहिष्कार भी नहीं दिला सका राहत
इन दोनों गांवों के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार भी किया था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। यमुनोत्री धाम के नजदीक होने के बावजूद भी इन दोनों गांवों के लोग सड़क से वंचित हैं।
आखिर कब तक सहन करेंगे ग्रामीण?
ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर कब तक वे बीमार लोगों को ऐसे ढोते रहेंगे? कब तक वे सड़क की अनुपलब्धता के कारण परेशानियों का सामना करते रहेंगे? सरकार और प्रशासन से ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द उनके गांव तक सड़क पहुंचाई जाए ताकि वे भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
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