इस साल जुलाई महीने में व्यापार घाटा 31.02 अरब डॉलर पहुंच गया हैं। ऐसा इस लिए हुआ क्योंकि इस बार देश में एक्सपोर्ट की तुलना में इंपोर्ट अधिक हुआ हैं। आक़डों के मुताबिक जुलाई में आयात 66.26 अरब डालर रहा है जो पिछले साल समान अवधि में 46.15 अरब डालर था। पिछले 17 महीनों के दौरान पहली बार एक्सपोर्ट में इतना बड़ा गिरावट आया है।
2 अगस्त को जुलाई महीने के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट से जुड़े आंकड़े जारी किए
देश के कॉमर्स सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम ने मंगलवार 2 अगस्त को जुलाई महीने के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट से जुड़े आंकड़े जारी किए। कॉमर्स मिनिस्ट्री की तरफ से जारी प्रारंभिक आंकड़ो के मुताबिक, जुलाई 2022 में वस्तुओं का इंपोर्ट बढ़कर 66.26 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी महीने में 46.15 अरब डॉलर था। वहीं देश का निर्यात या एक्सपोर्ट जुलाई मे पिछले साल के मुकाबले मामूली 0.76% घटकर 35.24 अरब डॉलर रहा। जून के मुकाबले एक्सपोर्ट करीब 12 फीसदी घटा है।
वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने व्यापार आंकड़ों का ब्योरा देते हुए कहा, वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में निर्यात 156.41 अरब डालर रहा है। इससे 470 अरब डालर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
क्यों आई गिरावट
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट एक साल पहले के मुकाबले 0.76 फीसद घटकर 37.24 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि कमोडिटी की ऊंची कीमतों और कमजोर रुपये के कारण महीने के दौरान आयात 44 फीसद बढ़कर 66.26 बिलियन डॉलर हो गया। और फिर पश्चिमी बाजारों में मांग में कमी के कारण इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण, पेट्रोलियम, फार्मा, तैयार वस्त्र और सूती धागे सहित प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में जुलाई में गिरावट दर्ज की गई।
निर्यात को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में विदेशों में गेहूं, स्टील, लोहा और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर भारत के प्रतिबंध शामिल हैं। डाटा के अनुसार, जुलाई में सोने का आयात करीब आधा घटकर 2.37 अरब डालर रहा है, जबकी पिछले साल जुलाई में 4.2 अरब डॉलर के सोने का आयात हुआ था। तो वहीं कच्चे तेल के इंपोर्ट में बढ़ोतरी के कारण इस दौरान व्यापार घाटा तीन गुना होकर 31.02 अरब डॉलर हो गया।
रूपये पर क्या होगा असर
बढ़ते घाटे के कारण रुपये पर भी दबाव पड़ने की संभावना है। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये ने कई सर्वकालिक निम्न स्तरों को छुआ हैं। 19 जुलाई के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्यू घटकर 80 रुपये के निशान को पार कर गई हैं। हालांकि, मंदी के डर से कमोडिटी और ऊर्जा की कीमतों में गिरावट रुपये की कीमत को थामने में मदद करेगी।
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आपको बता दे की भारतीय रिजर्व बैंक रुपये के एक्सचेंज रेट के स्तर को लेकर कोई टारगेट नहीं रखता हैं। हालांकि यह अपने विदेशी मुद्रा भंडार को खरीद या बेचकर रुपये की कीमत में अस्थिरता को रोकने की कोशिश जरूर करता हैं।
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