कोरोना शुरु होने के बाद देश में हेल्थ इंश्योरेंश खरीदने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई हैं। लोग अब अपनी हेल्थ को लेकर और उसपर होने वाले खर्चो को लेकर सतर्क हो गए हैं। लेकिन, कई बार हेल्थ इंश्योरेंश खरीदने के बाद भी कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जिस वजह से पॉलिसीधारक को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रुम रेंट के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूली जाती है
आजकल ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल में रुम रेंट के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूली जाती है। कई बार लोग पॉलिसी लेते वक्त हॉस्पिटल के खर्चों में ऑपरेशन और दवाइयों के क्लेम के बारे में तो जान लेते हैं लेकिन, रुम रेंट के क्लेम सेटलमेंट पर ध्यान नहीं देते हैं। इसी वजह से उन्हें बाद में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रेंट क्लेम की शर्तो को नहीं पढ़ते हैं
अधिकतर लोग हेल्थ इंश्योंरेंस लेते समय उसमें बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में मिलने वाले रुम रेंट क्लेम की शर्तो को नहीं पढ़ते हैं। ज्यादातर लोग बीमा कंपनी रुम रेंट की कैंपिंग की शर्त रखती है। आमतौर पर ज्यादातर बीमा कंपनी कुल क्लेम का 1 फीसदी ही रुम रेंट के रुप में देती है। ऐसे में इस बात का ध्यान न देने की वजह से लोगों को ये बिल देने में परेशानी होती है।
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पैसा आपको अपनी जेब से देना पड़ सकता है
उदाहरण के तौर पर आपने एक हेल्थ इंश्योरेंस खरीदा है जिसमें आपने करीब 2 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम किया है तो ऐसी स्थिति में आपके करीब 2 हजार रुपये रुम रेंट के रुप में मिलेंगे। ऐसे में इसस ज्यादा के रुम रेंट का पैसा आपको अपनी जेब से देना पड़ सकता है।
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