टैक्स मामलों को देखने वाले बोर्ड सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स यानी सीबीडीटी की अतिरिक्त जिम्मेदारी अब एक महिला के हाथों में आ गई है। आयकर कैडर की 1986 बैच की आईआरएस अधिकारी संगीता सिंह को 1 मई को सीबीडीटी के चेयरपर्सन का दायित्व दिया गया है। इसके अलावा उनके पास सीबीडीटी में सदस्य (करदाता सेवाओं) का अतिरिक्त प्रभार भी है। बता दें कि संगीता सिंह अभी तक सीबीडीटी में एक मेंबर (आयकर और राजस्व) के तौर पर कार्यरत थी।
ये जिम्मेदारियां रहेंगी-
अतिरिक्त प्रभार के तौर पर संगीता सिंह को वहीं जिम्मेदारी निभानी होगी जो कि रेगुलर चेयरमैन को निभानी होती हैं। जैसे-
- आयकर विभाग की प्रशासनिक योजना पर काम करना.
- राजस्व सेवा में निगरानी और वित्त मंत्रालय को सलाह देना।
- संयुक्त राष्ट्र और ओईसीडी जैसी अंतराष्ट्रीय संस्थाओं में भारत की प्रतिनिधित्व करना।
- इनकम टैक्स कमिश्नर और चीफ कमिश्नर के कैडर में अफसरों के ट्रांसफर और नियुक्तियां करना।
- कैबिनेट के निर्णयों का कार्यान्वयन करना।
- आयकर विभाग अधिनियम के तहत आने वाले मामलों का नियमानुसार निपटारा करना।
- केंद्रीय वित्त मंत्री को सलाह देना।
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सीबीडीटी कर मामलों का सबसे बड़ा बोर्ड
सीबीडीटी यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का एक हिस्सा है। भारत में प्रत्यक्ष कर से संबंधित सभी मामले 1 जनवरी 1964 से केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड को सौंप दिए गए थे। सीबीडीटी को राजस्व बोर्ड अधिनियम 1963 से अधिकार प्राप्त हैं। सीबीडीटी भारत में प्रत्यक्ष कर की नीतियों और योजनाओं के लिए आवश्यक इनपुट्स प्रदान करता है। साथ ही यह आयकर विभाग के द्वारा प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है। सीबीडीटी के 6 सदस्य होते हैं। सीबीडीटी के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन भारतीय राजस्व सेवा और भारत की प्रमुख सिविल सेवा से किया जाता है।
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