बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। उन्होंने अब अदा शर्मा की फिल्म 'द केरल स्टोरी पर चुप्पी तोड़ी है। उनका दावा है कि अगर कोई फिल्म राज्य की शांति के लिए खतरा पैदा करती है, तो उसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि सभी को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है, लेकिन किसी को भी कानून व्यवस्था में दखल नहीं देना चाहिए।
हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खड़ा रहा हूं- Shatrughan Sinha
एक इंटरव्यू के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, 'सबसे पहले मैं ये स्पष्ट कर दूं कि मैंने द केरल स्टोरी नहीं देखी है। मैं ट्रैवलिंग में इतना बिजी हो गया हूं कि मैं अभी तक अपनी बेटी (सोनाक्षी सिन्हा) की वेब सीरीज दहाड़ तक नहीं देख पाया हूं। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मैं हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खड़ा रहा हूं।'
'राज्य की शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली फिल्म पर लगना चाहिए बैन'
एक्टर ने आगे कहा, 'मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को वो कहने का अधिकार है, जो वह कहना चाहता है। लेकिन किसी राज्य की कानून और व्यवस्था की कीमत पर नहीं। अगर कोई फिल्म राज्य की शांति के लिए खतरा पैदा करती है, तो उस आजादी पर रोक लगनी चाहिए। अगर अभिव्यक्ति का अधिकार है, तो प्रशासन का अधिकार भी है।'
पश्चिम बंगाल में फिल्म की रिलीज पर लगे बैन पर बोले शत्रुघ्न सिन्हा
इसके अलावा शत्रुघ्न सिन्हा ने पश्चिम बंगाल में 'द केरल स्टोरी' की रिलीज पर लगे बैन को लेकर भी बात की है।उन्होंने कहा, 'ममता बनर्जी बहुत दूर की सोच रखने वाली लीडर हैं। अगर उन्हें लगता है कि फिल्म (द केरल स्टोरी) लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पैदा कर सकती है, तो जरूर उनके पास कारण होगा। वह भी हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी को सपोर्ट करती हैं। अगर उन्हें लगता है कि ये फिल्म एक निश्चित वर्ग के लोगों के लिए खतरनाक है, तो उन्हें वह करने का पूरा अधिकार है, जो उन्हें सही लगता है।'
'इलेक्शन के समय धर्म परिवर्तन को लेकर यह फिल्म क्यों?'
शत्रुघ्न सिन्हा ने आखिर में कहा, 'विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स से बहुत पहले मैंने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को लेकर आवाज उठाई थी लेकिन उस समय सरकार ने बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। अगर विवेक की फिल्म ने कश्मीरी पंडितों को लेकर एक बहस छेड़ दी है, तो मुझे इस बात की खुशी है। संवेदनशील मुद्दों पर फिल्म बननी चाहिए, लेकिन उन्हें संवेदनशील तरीके से बनाया जाना चाहिए। इलेक्शन के समय धर्म परिवर्तन को लेकर यह फिल्म क्यों? ये टाइमिंग थोड़ा संदिग्ध लग रहा है।'
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