वॉशिंगटन, अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा का समर्थन किया है। यह प्रवासी भारतीय, भारतीय कंपनियों के साथ अमेरिकी फर्म्स के लिए भी अच्छी खबर है, जो बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल करती हैं। इससे कंपनियों की लागत घटती है तो भारतीयों को दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी में काम करने का अवसर मिलता है। 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान ट्रंप ने H-1B वीजा पर सख्ती की बात की थी, लेकिन पद संभालने के बाद उन्होंने सिर्फ इसकी प्रक्रिया सख्त की। इसलिए उनका इसके समर्थन में आना बड़ी बात है।
गलत नजरिया
अमेरिका हर साल जितने H-1B वीजा जारी करता है, उनमें करीब 70% संख्या भारतीयों की होती है। इस वजह से इससे जुड़ा कोई भी डिवेलपमेंट सबसे ज्यादा भारतीयों पर असर डालता है। दुर्भाग्य से ट्रंप ने इस बार सत्ता में वापसी प्रवासियों के प्रति कड़े रुख के साथ की। उन्होंने विजन रखा ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (MAGA) और इसके लिए नौकरियों में अमेरिकियों को प्राथमिकता व अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती की बात की। चूंकि सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं, तो ट्रंप के परंपरागत वोटर्स ने अपने नेता के स्टैंड को भारतीय विरोधी नजरिये में बदल दिया।
खत्म होगा विवाद
ट्रंप ने जब से श्रीराम कृष्णन को AI के लिए नीति सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है, तब से अमेरिका में कुछ लोग प्रवासी भारतीयों को लेकर गुस्से का इजहार कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर एक बहस छिड़ी हुई है, जिसकी दिशा भारतीय विरोधी होती जा रही है। ट्रंप के बयान से बेकार का यह विवाद खत्म होना चाहिए।
प्रवासियों की अहमियत
अगर प्रवासी भारतीयों या दूसरे देशों के नागरिकों को अमेरिका की जरूरत है, तो अमेरिका को भी इन प्रवासियों का सहारा चाहिए। मस्क इस बात को समझते हैं क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में जन्म लेने वाले मस्क H-1B वीजा का लाभ ले चुके हैं। उन्हें पता है कि अमेरिका को खासतौर पर टेक्नॉलजी की दुनिया में शीर्ष पर लाने वालों में प्रवासियों की कितनी बड़ी भूमिका है।
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