जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने शुक्रवार को संसद को भंग करने का आदेश दिया और 23 फरवरी को आम चुनाव कराने का फैसला किया। यह कदम चांसलर ओलाफ शोल्ज की गठबंधन सरकार के विश्वासमत हारने के बाद उठाया गया है। शोल्ज ने 16 दिसंबर को विश्वास मत खो दिया था और अब वह अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
सरकार के संकट के कारण चुनाव की आवश्यकता
शोल्ज की तीन पार्टियों वाली गठबंधन सरकार नवंबर में संकट में आ गई थी, जब उन्होंने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के मुद्दे पर वित्त मंत्री को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने यह सहमति बनाई कि संसदीय चुनाव सात महीने पहले 23 फरवरी को कराए जाने चाहिए।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जर्मनी के संविधान के अनुसार, 'बुंडेस्टैग' (संसद) को खुद को भंग करने की अनुमति नहीं है। ऐसे में यह निर्णय जर्मनी के राष्ट्रपति स्टीनमीयर को लेना था कि वह संसद को भंग करके चुनाव की प्रक्रिया शुरू करें या नहीं। राष्ट्रपति के पास इस फैसले को लेने के लिए 21 दिन का समय था।
चुनाव की तिथि और प्रक्रिया
संसद भंग होने के बाद जर्मनी में चुनाव 60 दिनों के भीतर आयोजित करना अनिवार्य है। इस निर्णय के बाद अब 23 फरवरी को चुनाव की तारीख निर्धारित की गई है, जो देश के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
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