अविश्वास मत हारने के बाद फ्रांस की सरकार गिर गई है। यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इसके चलते राजनीतिक संकट में फंस गई है। दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने एक साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाकर प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर को सत्ता से हटा दिया है। यहां तक की राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर भी इस्तीफा देने का दबाव बन गया है।
1962 के बाद पहली बार कोई सरकार गिरी
बजट विवादों के बाद विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जिसके बाद प्रधानमंत्री बार्नियर और उनके मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। 1962 के बाद से अविश्वास मत के कारण सत्ता से बाहर होने वाली यह पहली फ्रांसीसी सरकार है। इसके चलते स्विस फ्रैंक और पाउंड जैसी अन्य यूरोपीय मुद्राओं के मुकाबले यूरो में गिरावट दर्ज की गई है।
मैक्रों बोले- 2027 तक सेवा करूंगा
उधर, सरकार गिरने के बावजूद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि वो 2027 तक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों की सेवा करता रहूंगा।
अब क्या करेंगे मैक्रों?
बता दें कि बीते दिन हुए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 331 वोट पड़े। इसके लिए 288 वोटों की जरूरत थी। जून में हुए चुनावों के बाद फ्रांस की संसद तीन प्रमुख भागों में बंट चुकी है और किसी भी दल को बहुमत नहीं है। अब इमैनुएल मैक्रों को दूसरी बार नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा। इस घटनाक्रम के बाद मैक्रों आज शाम देश को संबोधित करेंगे। बार्नियर को भी मैक्रों ने 3 महीने पहले ही नियुक्त किया था, जो अब सबसे कम समय के लिए पीएम रहने वाले नेता बन गए हैं।
बजट पर हुआ विरोध, तो घिरे पीएम
दरअसल, विवाद बार्नियर द्वारा लाए गए बजट प्रस्ताव पर शुरू हुआ। फ्रांस में किसी को बहुमत नहीं है, तीन अलग-अलग धड़े मिले हुए हैं। एक मैक्रों के सेट्रलिस्ट सहयोगी, वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट और दक्षिणपंथी नैश्नल रैली। बजट के चलते आमतौर पर अलग रहने वाले विपक्षी धड़े एकजुट हो गए और पीएण बार्नियर के विरोध में उतर आए।
Comments (0)