नई दिल्ली, भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर पैनी नजर रखे हुए है। तालिबान ने पाकिस्तान के सीमा पार हवाई हमलों का जवाब देने की घोषणा की है। इससे पूरे क्षेत्र और यूरेशिया में असर पड़ सकता है, जहां भारत के कई हित जुड़े हैं।
भारत पूरे घटनाक्रम पर रख रहा बारीकी से नजर
भारत सरकार के सूत्रों से बताया कि नई दिल्ली, पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों पर बारीकी से नजर रख रही है। क्योंकि इस्लामाबाद से नाराज काबुल, नई दिल्ली से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश कर सकता है। भारत हमेशा से काबुल में एक ऐसी सरकार चाहता रहा है जो पाकिस्तान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गुटों के लिए पनाहगाह और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए लॉन्चपैड के तौर पर न करने दे।
भारत ने तालिबान से बढ़ाई बातचीत
पिछले एक साल में, भारत ने तालिबान के साथ बातचीत बढ़ाई है, जो पाकिस्तान को रास नहीं आ रहा है। भारत ने अपने प्रतिनिधि को मुंबई में अफगान वाणिज्य दूतावास से काम करने की भी अनुमति दी है। काबुल ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा।
काबुल ने भी दिल्ली के साथ साझेदारी बढ़ाने में दिखाई रुचि
काबुल ने नई दिल्ली के साथ मानवीय और विकास साझेदारी को बढ़ाने में भी रुचि दिखाई है। यह आश्वासन तब दिया गया था जब विदेश मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने नवंबर में काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद से मुलाकात की थी। मुजाहिद, मुल्ला उमर के बेटे हैं, जो 1996-2001 के बीच अफगानिस्तान के नेता थे।
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर किए हवाई हमले
पाकिस्तान ने पूर्वी अफगानिस्तान में हवाई हमले किए। इन हमलों में 46 लोग मारे गए। ज्यादातर महिलाएं और बच्चे मारे गए। ये हमले बुधवार को हुए। पाकिस्तान का कहना है कि ये हमले आतंकवादियों के खिलाफ थे। अफगानिस्तान ने इस हमले की कड़ी निंदा की है।
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