तकनीक ने दुनिया की दूरी को काफी कम कर दिया है। आने वाले समय में पलक झपकते ही दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचना संभव होगा। इस समय भले ही इस बात पर यकीन न हो, लेकिन चीन की एक कंपनी ने एक विमान के प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण किया है जिससे आप केवल सवा दो घंटे में दिल्ली से न्यूयार्क पहुंच सकते हैं।
ध्वनि से चार गुना अधिक रफ्तार में उड़ा विमान
साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट के मुताबिक परीक्षण के दौरान इस विमान ने 65,600 फीट से अधिक की ऊंचाई पर ध्वनि से चार गुना अधिक यानी मैक चार या 3,045 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरी। यह रफ्तार नासा के 'सन ऑफ कानकार्ड' से तीन गुना अधिक है और सेवा से मुक्त हो चुके कानकार्ड विमानों से दोगुना अधिक है। इस विमान की प्रतिघंटे की तय करने वाली दूरी 3,045 मील यानी 4900 किलोमीटर के बराबर है।
2027 तक विमान को तैयार करने में जुटी कंपनी
दिल्ली से न्यूयार्क की दूरी लगभग 11,747 किलोमीटर है। इस तरह इस विमान से लगभग सवा दो घंटे में दिल्ली से न्यूयार्क पहुंचा जा सकता है। स्पेस ट्रांसपोर्टेशन ने बयान में कहा, इस विमान का इंजन अंतरिक्ष जैसे वातावरण में उच्च गति की उड़ान भरने में सक्षम है। कंपनी का लक्ष्य विमान को 2027 तक अपनी पहली उड़ान के लिए तैयार करना है। 2030 तक पहली वाणिज्यिक उड़ान शुरू की जा सकती है। विमान का नाम जिनदाऊ 400 रखा गया है। चीन के सरकारी समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को इस विमान का उड़ान परीक्षण किया गया। विमान में 'रैमजेट' इंजन है जो हवा से ही आक्सीजन लेकर ईंधन के तौर पर उसका उपयोग करता है।
हॉरिजेंटल लैंडिंग करने में विमान सक्षम
इस कारण विमान को ईंधन नहीं ले जाना पड़ता है। विमान हल्के मजबूत मेटेरियल से बना होगा, जिसे मैक चार की रफ्तार से यात्रा करते समय अत्यधिक ताप का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है। सामान्य विमान हॉरिजेंटल लैंडिंग करते हैं। पारंपरिक विमानों के विपरीत यह वर्टिकल तरीके से टेकआफ और लैंडिंग करेगा, जिससे यह संकरी जगहों पर भी लैंडिंग कर सकेगा। इसका मतलब यह है कि इसे हवाईअड्डों पर पारंपरिक रनवे का उपयोग नहीं करना पड़ेगा, इसके बजाय संभवत: छोटे, शहरी हवाईअड्डे से संचालन किया जाएगा।
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