अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से जारी जन्म से नागरिकता को खत्म करने के आदेश पर दूसरी बार रोक लगा दी गई है। मैरीलैंड के ग्रीनबेल्टमें एक संघीय न्यायाधीश डेबोरा बोर्डमैन ने बुधवार को इस आदेश पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला सुनाया। इससे पहले वॉशिंगटन राज्य में एक अन्य न्यायाधीश ने इस आदेश को 'स्पष्ट रूप से असंवैधानिक' करार देते हुए रोक लगा दी थी।
क्या है जन्म से नागरिकता?
अमेरिका में जन्म लेने वाले हर बच्चे को नागरिकता देने का नियम 14वें संशोधन के तहत आता है। यह कानून 1868 में लाया गया था ताकि गुलामी समाप्त होने के बाद अफ्रीकी अमेरिकियों को नागरिकता मिल सके। इस कानून के अनुसार, जो भी व्यक्ति अमेरिका में जन्म लेता है, वह स्वाभाविक रूप से अमेरिकी नागरिक होता है।
क्या है ट्रंप प्रशासन का दावा?
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन का तर्क है कि अवैध अप्रवासियों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि वे अमेरिका के 'न्याय क्षेत्र' में नहीं आते। सरकार का कहना है कि संविधान में ऐसा कोई 'वरदान' नहीं है जिससे अप्रवासियों के बच्चों को नागरिकता मिले।
अदालत में ट्रंप के फैसले का विरोध
इस आदेश के खिलाफ 22 राज्यों और कई मानवाधिकार संगठनों ने मुकदमा दायर किया है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं के समूह और अप्रवासी अधिकार संगठनों ने भी इसे चुनौती दी है। अदालत में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जन्म से नागरिकता मिलना अमेरिका की लोकतांत्रिक परंपरा का एक मजबूत आधार है।
ट्रंप के फैसले पर राजनीतिक मतभेद
इस मुद्दे पर अमेरिका में गहरी राजनीतिक खाई बन गई है। 22 डेमोक्रेटिक राज्यों ने इस आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जबकि 18 रिपब्लिकन राज्यों के अटॉर्नी जनरल ट्रंप के पक्ष में उतर आए हैं। बता दें कि, ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रपति बनने के पहले हफ्ते में ही 10 कड़े प्रवासी कानून लागू किए थे। इनमें से कुछ तुरंत लागू हो गए, जबकि कुछ पर कानूनी अड़चनें आईं। आगे यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। अमेरिका दुनिया के उन 30 देशों में शामिल है जहां 'जन्म से नागरिकता' का कानून लागू है। इनमें कनाडा और मैक्सिको भी शामिल हैं। इस आदेश के कानूनी भविष्य पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
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