भारत और अमेरिका ने कुआलालंपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ की बैठक के दौरान दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए 10 साल की योजना पर हस्ताक्षर किए। यह हस्ताक्षर आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान हुआ। यह घटना ऐसे समय हुई है जब भारत, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने, रिश्ते बेहतर करने और रूस के साथ पुराने संबंध बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल के हफ्तों में दोनों देशों ने व्यापार समझौते की बातचीत फिर शुरू की है।
पहले ट्रंप ने भारतीय सामान पर 25% अतिरिक्त टैक्स लगाया था, जिससे बातचीत रुक गई थी। इसके बाद उन्होंने रूस से तेल खरीदने पर भी भारत को 25% जुर्माना लगाया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 2025 की यह योजना अगले 10 साल में साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए नया चरण शुरू करेगी। इसका मकसद रक्षा सहयोग को गहरा करना और स्पष्ट दिशा देना है। दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग में लगातार प्रगति की तारीफ की और हर क्षेत्र में फायदे की साझेदारी को और मजबूत करने का वादा किया।
मंत्रालय के बयान में कहा गया कि उन्होंने मौजूदा रक्षा मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की और रक्षा उद्योग व तकनीकी सहयोग पर विचार किया। बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बीच दोनों ने मिलकर समस्याओं का हल निकालने पर सहमति जताई। राजनाथ सिंह ने ‘X’ पर लिखा कि अमेरिकी मंत्री के साथ अच्छी बैठक हुई। हमने 10 साल की अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी योजना पर हस्ताक्षर किए।
डील के क्या हैं मायने?
यह हमारी पहले से मजबूत साझेदारी में नया दौर शुरू करेगा। यह योजना भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को पूरी दिशा देगी। उन्होंने आगे कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बढ़ते रणनीतिक सामंजस्य का संकेत है और साझेदारी के नए 10 साल की शुरुआत करेगा। रक्षा हमारे रिश्तों का मुख्य आधार बना रहेगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए हमारी साझेदारी बहुत जरूरी है। भारत और अमेरिका दोनों हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, विकास और स्थिरता के लिए नियमों पर चलने वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करते हैं। चीन इस क्षेत्र में सैन्य अड्डे बनाकर, समुद्री दावों के लिए दबाव डालकर और कमजोर देशों से रणनीतिक फायदा लेकर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।