धरती पर बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड का असर अब अंतरिक्ष तक पहुंच चुका है।इसकी वजह से आयनमंडल तेजी से ठंडा हो रहा है और यह बदलाव भविष्य मेंसैटेलाइट की कक्षा, रेडियो संचार और अंतरिक्ष मलबे की गति को गहराई सेप्रभावित कर सकता है।
जापान के क्यूशू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल जिओफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में वायुमंडल का कम्प्यूटेशनल मॉडल तैयार कर यह समझने की कोशिश की गई कि बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे ऊपरी वायुमंडलीय हिस्से पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। वैज्ञानिकों ने दो परिदृश्यों में तुलना की। जब सीओ2 स्तर 315 पीपीएम था और जब इसे 667 पीपीएम पर सेट किया गया।
तुलना में साफ संकेत मिले कि धरती से लगभग 100-120 किलोमीटर ऊपर स्थित आयनमंडल में तापमान तेजी से घट रहा है। घनत्व कम होने से ऊपरी वायुमंडल में हवा हल्की और अधिक अनियमित हो रही है, जिससे सैटेलाइट धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर खिंच सकते हैं और अंतरिक्ष मलबे की गति में भी अनिश्चितता बढ़ सकती है।
पृथ्वी तक सीमित आपदा नहीं ग्लोबल वार्मिंग
शोधकर्ताओं ने साफ संकेत दिया है कि ग्लोबल वार्मिंग अब पृथ्वी तक सीमित आपदा नहीं है। इसके प्रभाव धरती से ऊपर तक फैल चुके हैं और मानव तकनीक निर्भर सभ्यता को नए सिरे से चुनौती दे रहे हैं। अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे स्पेस-क्लाइमेट चेतावनी कह रहे हैं, जो इस बात की याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को हल्के में लेना अब घातक भूल होगी।