


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि खनिज संसाधनों की प्रचुरता प्रदेश की समृद्धि का आधार बन रही है। क्रिटिकल मिनरल्स, रेयर अर्थ एलिंमेंट्स, हीरा और बहुमूल्य धातुओं के भंडार मिलने से प्रदेश खनन क्षेत्र में देश का सिरमौर बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में मध्यप्रदेश की भूगर्भीय संरचना पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोल बेड मीथेन (CBM) जैसे हाइड्रोकार्बन संसाधनों की अपार संभावनाएं है। विशेषज्ञों के अनुसार राज्य के पूर्वी हिस्से में गोंडवाना बेसिन और पश्चिमी-दक्षिणी हिस्से में नर्मदा एवं ताप्ती घाटियों में अवसादी चट्टानों का व्यापक प्रसार है। विशेषज्ञों के अनुसार ये हाइड्रोकार्बन के लिये अत्यंत अनुकूल हैं। शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, दमोह, पन्ना, छतरपुर, सागर, नरसिंहपुर, रायसेन, खंडवा, खरगोन, बड़वानी और छिंदवाड़ा जिलों में हाइड्रोकार्बन और सीबीएम गैस की संभावनाए विशेष रूप से चिन्हित हुई हैं।
सीबीएम का वाणिज्यिक उत्पादन और नये ब्लॉक
प्रदेश में वर्तमान में सीबीएम के वाणिज्यिक उत्पादन के लिये 2 पेट्रोलियम माइनिंग लीज़ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को दी गई हैं। शहडोल-अनूपपुर जिले के 500 वर्ग किलोमीटर ब्लॉक में वाणिज्यिक उत्पादन जारी है। यहां 495 वर्ग किलोमीटर ब्लॉक में शीघ्र उत्पादन प्रारंभ होने की उम्मीद है। इसी प्रकार दमोह जिले के हटा क्षेत्र में 200.2 वर्ग किलोमीटर का प्राकृतिक गैस ब्लॉक खोजा गया है। शासन द्वारा इसे 15 वर्षों के लिये ओएनजीसी को स्वीकृत किया गया है।
तकनीकी नवाचारों से खनन क्षेत्र में ईज-ऑफ-डूइंग बिजनेस
खनिज साधन विभाग ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता और सुशासन सुनिश्चित करने के लिये डिजिटल नवाचारों की श्रृंखला लागू की है। खदानों की स्वीकृति, पंजीकरण, उत्पादन-प्रेषण प्रबंधन, रॉयल्टी भुगतान, ई-ट्रांजिट पास और रॉयल्टी क्लियरेंस जैसी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। खनन योजनाओं की प्रस्तुति और स्वीकृति को पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है। इसमें ऑनलाइन माइनिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम, रजिस्टर्ड क्वालिफाइड पर्सन का पंजीकरण, रियल-टाइम ट्रैकिंग और लेट-अलर्ट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।