राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का लाल किला इस बार न सिर्फ इतिहास का गवाह बनेगा बल्कि दुनिया के 180 देशों के 1000 से ज़्यादा मेहमानों को भारत के सबसे चमकदार त्योहार दीपावली की चकाचौंध भी दिखाएगा। यह अवसर है 7 से 13 दिसंबर तक पहली बार यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की 20वीं अंतर-सरकारी समिति की बैठक दिल्ली में आयोजित हो रही है।
10 दिसंबर क्यों है खास?
इस बैठक के बीच 10 दिसंबर का दिन भारत के लिए बेहद खास होने वाला है क्योंकि इसी दिन दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि हमारी दीपावली आधिकारिक तौर पर यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हो रही है या नहीं। इस संभावित खुशी को दोगुना करने के लिए केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 1 दिसंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर 10 दिसंबर को राजधानी में एक खास 'दीपावली उत्सव' मनाने का अनुरोध किया है।
अमूर्त विरासत सूची में दीपावली और छठ
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अपने पत्र में कहा कि भारत इस समिति में अपना चौथा कार्यकाल (2022-2026) चला रहा है और इस बार हम अपने घर में यूनेस्को के अधिकारियों, विशेषज्ञों और सांस्कृतिक विरासत से जुड़े इतने बड़े मेहमानों का स्वागत कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार दीपावली के साथ-साथ छठ महापर्व को भी 2024-25 चक्र में यूनेस्को की इस प्रतिष्ठित सूची के लिए नामांकित किया गया है। फिलहाल भारत के 15 तत्व पहले से ही इस सूची में जगह बनाए हुए हैं जिनमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, और छऊ नृत्य शामिल हैं।