दिल्ली सरकार ने शहर में प्रदूषण की निगरानी बढ़ाने के लिए 6 नए कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह पूरा काम दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की देखरेख में किया जा रहा है, जिसमें स्टेशन की सप्लाई, इंस्टॉलेशन, कमिशनिंग और लंबे समय तक संचालन शामिल है। सरकार का मानना है कि इन नए स्टेशनों से शहर की मॉनिटरिंग क्षमता कई गुना बढ़ेगी और प्रदूषण से लड़ाई में तेजी आएगी।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ये हाई-टेक स्टेशन रीयल टाइम डेटा देंगे, जिससे पता चल सकेगा कि किस इलाके में प्रदूषण कितना है और किस स्रोत से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सही और तेज जानकारी मिलने से कार्रवाई करना आसान होगा। ये छह स्टेशन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU), मलचा महल के पास इसरो अर्थ स्टेशन, दिल्ली कैंट, कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (वेस्ट कैंपस) में लगाए जाएंगे। इससे दक्षिण, मध्य और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बड़े हिस्से की हवा की निगरानी और मजबूत होगी।
हर स्टेशन में आधुनिक एनालाइजर लगाए जाएंगे, जो लगातार पीएम2.5, पीएम10, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन और बीटेक्स जैसे प्रमुख प्रदूषकों को मापेंगे। इसके साथ ही हवा की दिशा, गति, तापमान, नमी, बारिश और सोलर रेडिएशन जैसी मौसम संबंधी पूरी जानकारी भी रिकॉर्ड होगी। सभी मशीनें 24×7 चलेंगी और डेटा छोटे-छोटे अंतराल पर रिकॉर्ड किया जाएगा, जिसे बाद में दैनिक, साप्ताहिक और मासिक रिपोर्टों में शामिल किया जाएगा।
चयनित तकनीकी पार्टनर अगले 10 साल तक इन स्टेशनों का संचालन और मेंटेनेंस करेगा। इसमें 24×7 संचालन, नियमित सर्विसिंग, समय–समय पर कैलिब्रेशन, सुरक्षा और तकनीकी सहायता शामिल है। डेटा क्वॉलिटी 90 प्रतिशत से नीचे न जाए, इसके लिए सख्त मानक और पेनल्टी तय की गई हैं। मंत्री सिरसा ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण की पूरी रणनीति वैज्ञानिक डेटा पर आधारित होगी और हॉटस्पॉट पहचानने से लेकर बड़े फैसलों के प्रभाव समझने तक सब कुछ इसी डेटा से तय किया जाएगा।