अमेरिकी संसद के एक पैनल ने अपनी सालाना रिपोर्ट में मई महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान ने मिलकर भारतीय राफेल के खिलाफ फेक कैम्पेन चलाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन असल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष का फायदा अपने हथियारों को बेचने के लिए इस्तेमाल करना चाहता था। चीन राफेल के खिलाफ कैम्पेन चलाया J-35 लड़ाकू बेचने की कोशिश कर रहा था। चीन का मकसद पश्चिमी देशों के हथियारों के ऊपर अपने J-35 को वर्चस्व बनाते हुए दिखाना था।
यूएस पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने मई में हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष को न सिर्फ काफी करीबी से मॉनिटर किया, बल्कि उसे अपने आधुनिक हथियारों को बेचने के लिए वास्तविक युद्ध-मैदान की तरह इस्तेमाल भी किया। यह दावा अमेरिकी संसदीय आयोग की नई रिपोर्ट में किया गया है। यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन (USCC) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि बीजिंग ने भारत-पाकिस्तान युद्ध को एक 'मौके' की तरह देखा।
भारत-पाकिस्तान जंग पर अमेरिकी पैनल की रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान के हुए संघर्ष में चीन ने अपने हाई-टेक हथियारों और इंटेलिजेंस सिस्टम्स की क्षमताओं को लाइव कॉम्बैट कंडीशंस में आजमाया। रिपोर्ट में HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 लंबी दूरी की मिसाइल और J-10C लड़ाकू विमानों के इस्तेमाल को चीन की रियल-वर्ल्ड फील्ड एक्सपेरिमेंट स्ट्रैटेजी का हिस्सा बताया गया है। यह पहली बार था जब चीन के आधुनिक हथियारों का वास्तविक युद्ध में इस्तेमाल हुआ था, जिसे बीजिंग ने बाद में अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में अपने दावों को मजबूत बनाने के लिए इस्तेमाल किया।