पुराणों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी ने की थी। प्राचीन काव्य ग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का जिक्र किया गया हैं। पीएम मोदी आज गुजरात दौरा खत्म कर उज्जैन पहुंचेंगे। पीएम मोदी शाम 6 महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन करते हुए इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे। जो काफी मायनों में खास हैं इसका पहला चरण तीर्थयात्रियों को विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्रदान कराएगा जिससे तीर्थयात्रियों का अनुभव यादगार हो सकें।
महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास
महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी। जिसका प्राचीन ग्रंथों में वर्णन किया गया हैं ऐसा कहा जाता हैं कि मंदिर की नीव व चबूतरा पत्थर से बनाया गया था और मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था। कहा जाता हैं कि गुप्त काल से पहले मंदिर पर कोई शिखर नहीं था बल्कि मंदिर की छतें लगभग सपाट थी हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं मिलते।
कहां से आया महाकाल नाम
उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी हैं और यहां महाकाल वन मौजूद हैं कहा जाता हैं कि इस वन में ज्योर्तिलिंग होने के कारण यह ज्योर्तिलिंग महाकाल कहलाया और आगे चलकर मंदिर को महाकाल मंदिर कहा जाने लगा। स्कन्दपुराण के अवन्ती खण्ड में भगवान महाकाल का भव्य प्रभामण्डल प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा पुराणों में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख है। दरअसल कालिदास ने मेघदूतम के पहले भाग में महाकाल मंदिर का विवरण दिया है। वहीं शिवपुराण के अनुसार नन्द से आठ पीढ़ी पहले एक गोप बालक द्वारा महाकाल की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी।
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समय की गणना का केन्द्र का कहा जाता हैं उज्जैन
उज्जैन को प्राचीनकाल में अवंति कहते थे। प्राचीनकाल में उज्जैन विज्ञान और गणित की रिसर्च का केंद्र हुआ करता था। कई महान गणितज्ञ, जैसे भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त और वाराहमिहिर और खगोलविद् ने उज्जैन को अपने शोध का केंद्र बनाया हुआ था। ऐसा भी कहा जाता हैं कि स्वयं महाकाल यानी भगवान शिव उज्जैन से सम्पूर्ण संसार का समय संचालन करते थे। इसीलिए भी उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता हैं।
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