मकर संक्रांति का संबंध सूर्य के गोचर से है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इसमें यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि सूर्य अगर सूर्यास्त के बाद मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो मकर संक्रांति का पर्व फिर अगले दिन मनाया जाएगा। अमूमन सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में आ जाते हैं लेकिन बीते कुछ वर्षों में ऐसा हो रहा है कि 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में आ तो जाते हैं लेकिन सूर्यास्त के बाद। ऐसे में शास्त्रीय मत यह कहता है कि सूर्यास्त के बाद सूर्य अगर मकर राशि में आते हैं तो मकर संक्रांति का पर्व अगले दिन मनाना चाहिए।
मकर संक्रांति पूर्व बीते कुछ वर्षों में लोग दो दिन मनाने लगे हैं। कुछ लोग परंपरागत तरीके से 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हैं तो कुछ लोग पंचाग और शास्त्रीय नियम के अनुसार 15 जनवरी को। अबकी बार भी कुछ ऐसा ही संयोग बना है जिससे लोग उलझन में हैं और 14 एवं 15 जनवरी को मकर संक्रांति मना रहे हैं। लेकिन जो लोग शास्त्रीय नियम के अनुसार मकर संक्रांति मनाने में विश्वास करते हैं उनके लिए मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को होगा।
मकर संक्रांति पर स्नान दान के मुहूर्त का बड़ा ही महत्व है। इस साल सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को रात 2 बजकर 54 मिनट पर आ रहे हैं
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