सनातन धर्म में भगवान सूर्य देव की ओर से किए गए राशि परिवर्तन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. जब सूर्य मीन या धनु राशि में गोचर करते हैं तो इस राशि परिवर्तन के कारण खरमास शुरू हो जाता है. हिन्दू धर्म में खरमास को विशेष समय के रूप में देखा जाता है. शनिवार को सूर्यदेव के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर एक माह के लिए विराम लग जाएगा. साथ ही मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे कार्य नहीं किए जा सकेंगे. इस अवधि को मलमास भी कहा जाता है |मलमास अगले वर्ष 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होने के साथ समाप्त होगा.
इस माह में मकान का निर्माण व संपत्ति की खरीदारी शुभ नहीं
मलमास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी भी शुभ नहीं होती है. इस दौरान बनाए गए मकान में निवास का सुख नहीं मिल पाता है. मलमास में नया कार्य या व्यापार शुरू नहीं करें. इससे व्यापार में शुभ फलों के प्राप्त होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. साथ ही द्विरागमन कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी वर्जित होते हैं. क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की संभावना होती है. इस महीने में बड़े धार्मिक कार्य वर्जित रहते हैं. हर रोज किए जाने वाले अनुष्ठान कर सकते हैं.
ग्रहों के राजा सूर्य देव का धनु राशि में प्रवेश
सूर्य देव 16 दिसंबर रात (यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 17 दिसंबर) 1:24 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे और खरमास का महीना शुरू हो जाएगा, जो 15 जनवरी तक रहेगा. साल में कुल 12 संक्रांति पड़ती हैं. इनमें से धनु संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है. ग्रहों के राजा सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति होती है. संक्रांति का अर्थ सूर्य की राशि बदलने से है.
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