कामनाथ महादेव गुजरात राज्य के खेड़ा जिले के अंतर्गत अहमदाबाद हाईवे के नजदीक रढ़ू गांव जिसकी दक्षिण दिशा में वात्रक नदी का विस्तार है। वहीं पर पांच नदियों का संगम भी माना गया है। इस संगम स्थल वात्रक नदी के तट पर महादेव अर्थात् शिव की ज्योति स्थित है। माना जाता है कि जयसिंह भाई पटेल एक महादेव के सच्चे भक्त थे। कामनाथ महादेव के मंदिर की यह अखंड दिव्य ज्योति जयसिंह भाई पटेल द्वारा लाई गई थी। इस कामनाथ महादेव मंदिर का निर्माण 1445 में किया गया था।
संयोगवश एक बार वात्रक नदी में भयंकर बाढ़ आ गई। जयसिंह का नदी पार करके महादेव के दर्शन करना संभव नहीं था। नदी में बाढ़ का पानी सतत 8 दिनों तक बना रहा, इसलिए अपने नियम के अनुसार उन आठ दिनों तक उन्होंने उपवास किया और आठवें दिन रात होने पर उन्हें सपना आया। महादेव जी ने उसे उन्हें आदेश दिया कि ‘आज तुम यहां से एक घी का दीपक प्रज्वलित करके, अपने साथ मुझे ले जाना’।
दूसरे दिन जब सुबह उन्होंने सब लोगों के साथ इस विषय पर चर्चा की और सबकी सहमति से जयसिंह पटेल भाई एक दीपक की ज्योति लेकर कामनाथ महादेव को पुनज से सभी लोगों के साथ रढ़ू गांव ले आए। यह पवित्र मास श्रावण के कृष्ण पक्ष का बारहवां दिन था।
आज 629 वर्षों के पश्चात भी उस अखंड दीपक की ज्योत के लिए घी खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती। मंदिर में वर्षों से दो दीपक जल रहे हैं। उनकी ज्योति के लिए प्रतिदिन 2 से 4 किलो घी उपयोग होता है। भक्तों की श्रद्धा, भावना और आस्था के कारण यह सब संभव हो सका है। आज भी इस कामनाथ महादेव के प्रति लोगों की आस्था का प्रभाव सतत जारी है। माना जाता है कि इस कामनाथ महादेव मंदिर में 700 वर्ष से पुराना घी भी रखा है। लकड़ियों के स्टैंड पर चार कमरों में 50,000 किलो घी मटकों में रखा हुआ है। एक मटके का वजन लगभग 40 किलो लगभग होता है। वैसे आयुर्वेद में 100 वर्ष पुराने घी को संचित करके रखने का विधान और उसकी उपयोगिता बताई गयी है।
कामनाथ महादेव गुजरात राज्य के खेड़ा जिले के अंतर्गत अहमदाबाद हाईवे के नजदीक रढ़ू गांव जिसकी दक्षिण दिशा में वात्रक नदी का विस्तार है। वहीं पर पांच नदियों का संगम भी माना गया है। इस संगम स्थल वात्रक नदी के तट पर महादेव अर्थात्ा शिव की ज्योति स्थित है। म
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