उत्तराखण्ड में फायर सीजन शुरू होते ही वन विभाग के लिए वनाग्नि पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है। उत्तराखण्ड में गर्मी का सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। उत्तराखण्ड में वन विभाग दिन रात मेहनत कर वनाग्नि पर काबू पाने की कोशिश करता है। लेकिन एक बार जंगलों में आग लग जाए तो थमने का नाम नहीं लेती। ऐसे में जंगलों में लगने वाली आग वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
गोष्ठियों से किया प्रचार प्रसार
फायर सीजन में हर साल लाखों हैक्टेयर जंगल जलकर खाक हो जाते हैं। जंगलों में आग लगने से जहां वन संपदा खाक हो रही है तो वहीं लोगों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार भी वनाग्नि को रोकने के लिए कई प्रयास करती है । लेकिन जंगलों की आग पर काबू नहीं पाया जाता है। जंगल सुरक्षित रहे और वनाग्नि पर काबू पाने के लिए सबसे पहले जनता को जागरूक होने की जरूरत है। वही अल्मोडा जिले के पर्यटन नगरी रानीखेत विघानसभा वन क्षेत्राधिकारी रानीखेत तापस मिश्रा ने कहा कि फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक रहता है वनाग्नि को लेकर वन विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार हमने विगत वर्षों से अलग तरीके से दिसंबर और जनवरी के महीने में तैयारियां पूरी कर ली हैं। गोष्ठियों के माध्यम से प्रचार प्रसार किया और जन सहभागिता की ओर ज्यादा ध्यान दिया है। उन्होंने जंगलों में लगने वाली आग को लेकर जनता से सहयोग करने की अपील की है।
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