विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल नवरात्रि मेले की शुरूआत आज से हो गई है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां विंध्यवासिनी मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी है। भोर से ही भक्तों ने मंदिर आना शुरू कर दिया था। हाथों में नारियल, चुनरी, प्रसाद लेकर भक्त लाइन में लगे हुए है। मंगला आरती के बाद से भक्तों को मां विंध्यवासिनी के दर्शन मिलने लगे। पूरा दरबार मां के जयकारों से गूंज रहा है।
दर्शनों के लिए कतार में लगे मां के भक्त
नवरात्रि में नौ देवियों की विभिन्न स्वरूपों में आराधना की जाती है। देश भर के शक्तिपीठों पर चैत्र नवरात्र के पहले दिन से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थित विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में विराजमान मां विंध्यवासिनी देवी की मंदिर पर भी मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु लंबी-लंबी लाइनों में लगकर दर्शन पूजन कर रहे हैं। यहां पर पहले दिन श्रद्धालु मां शैलपुत्री स्वरूप का एक झलक पाकर निहाल हो रहे हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से आता है मां उसकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं।
मां के दर्शन से होती है मनोकामनाएं पूरी
काशी प्रयागराज के मध्य स्थित मां विंध्यवासिनी धाम का अपना एक अलग ही महत्व है। माता सती के शरीर का जहां-जहां अंग गिरा है उसे शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है तो वहीं मान्यता है की मां विंध्यवासिनी देवी यहां निवास करती हैं, इसलिए इन्हें सिद्ध पीठ के नाम से जाना जाता है। मां विंध्यवासिनी देवी के साथ ही मां काली, मां अष्टभुजा विराजमान है। मां विंध्यवासिनी देवी को इच्छा की देवी, मां काली को क्रिया की देवी और मां अष्टभुजा को ज्ञान की देवी के रूप में जाना जाता है। नवरात्र में आने वाले भक्त तीनों देवियों का दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं।
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