बस्तर अंचल की समृद्ध लोकपरंपराओं, जनजातीय संस्कृति और कला के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से वर्ष 2026 में ‘बस्तर पंडुम’ का आयोजन भव्य और आकर्षक रूप में किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक में आयोजन की तैयारियों की समीक्षा की गई और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
कार्यक्रम की रूपरेखा और चरण
बस्तर पंडुम 2026 का आयोजन 10 जनवरी से 5 फरवरी तक तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण (10–20 जनवरी) में जनपद स्तरीय कार्यक्रम, दूसरे चरण (24–30 जनवरी) में जिला स्तरीय कार्यक्रम और तीसरे चरण (1–5 फरवरी) में संभाग स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस बार आयोजन में प्रदर्शित विधाओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 कर दी गई है।
विधाओं और आयोजन का उद्देश्य
कार्यक्रम में बस्तर जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, वेशभूषा एवं आभूषण, पूजा-पद्धति, शिल्प, चित्रकला, जनजातीय पेय पदार्थ, पारंपरिक व्यंजन, आंचलिक साहित्य और वन-औषधि जैसी विधाओं का प्रदर्शन होगा। मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों से तैयारियों की जानकारी लेते हुए आयोजन को सुव्यवस्थित, प्रभावी और गरिमामय बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम, बस्तर की असली आत्मा और सांस्कृतिक विरासत का सशक्त मंच है।
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