रायगढ़: रायगढ़ जिले के तमनार हिंसा मामले को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस द्वारा गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए इस घटना के लिए राज्य सरकार और पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस ने इसे भाजपा की गांव, गरीब और आदिवासी विरोधी नीति का परिणाम बताया है।
मौके पर जाकर की गई जांच, जनसुनवाई को बताया फर्जी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जांच समिति ने तमनार पहुंचकर पूरे घटनाक्रम की पड़ताल की। उन्होंने आरोप लगाया कि जिंदल की जनसुनवाई का ग्रामीणों ने विरोध किया था, इसके बावजूद कथित तौर पर फर्जी तरीके से जनसुनवाई कराई गई।
15–20 कर्मचारियों के हस्ताक्षर से पूरी की गई जनसुनवाई
कांग्रेस का दावा है कि जनसुनवाई केवल 15 से 20 जिंदल कर्मचारियों के हस्ताक्षर से पूरी कर ली गई। पार्टी का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया नियमों के खिलाफ थी और ग्रामीणों की आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया।
धरना दे रहे ग्रामीणों से नहीं की गई कोई बातचीत
दीपक बैज ने आरोप लगाया कि धरना दे रहे ग्रामीणों से न तो जिला कलेक्टर और न ही पुलिस अधीक्षक ने बातचीत की। कांग्रेस के अनुसार, प्रशासन की अनदेखी के चलते स्थिति और बिगड़ती चली गई।
27 दिसंबर के लाठीचार्ज से बिगड़े हालात
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 27 दिसंबर को पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज से माहौल और तनावपूर्ण हो गया। पार्टी ने इस कार्रवाई को गैर-जरूरी और दमनकारी बताया है।
कांग्रेस की मांगें: जनसुनवाई रद्द हो, तय हो जिम्मेदारी
कांग्रेस ने तमनार हिंसा की पूरी जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन पर डालते हुए दोषियों को चिन्हित करने की मांग की है। साथ ही जिंदल को दी गई खदान और जनसुनवाई को रद्द करने तथा मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग भी की गई है।
बीजेपी का पलटवार: उद्योग नहीं लगेंगे तो विकास कैसे होगा
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने कहा कि यदि राज्य में उद्योग नहीं लगेंगे तो विकास संभव नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर विकास में बाधा डालने और उद्योग विरोधी राजनीति करने का आरोप लगाया।
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