रायपुर। सोमवार को छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में कुछ अलग ही नज़ारा देखने को मिला। कुर्सियाँ खाली रहीं, फाइलें मेज़ पर पड़ी रहीं और कंप्यूटर सिस्टम ऑन होने के बावजूद काम ठप रहा। इसकी वजह थी अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन की कलम बंद–काम बंद हड़ताल, जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। दरअसल यही सिलसिला अगले दिनों यानि 31 दिसम्बर तक जारी रहने वाला है। लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर शुरू की गई इस हड़ताल का असर मंत्रालय से लेकर जिला और तहसील कार्यालयों तक साफ नजर आया। कर्मचारी दफ्तरों में मौजूद तो रहे, लेकिन काम से पूरी तरह दूर रहे, जिससे शासन की रोज़मर्रा की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई।
प्रशासनिक कामकाज पर गहरा असर
हड़ताल के चलते राजस्व, पंचायत, नगरीय प्रशासन, शिक्षा और अन्य विभागों के जरूरी कार्य ठप हो गए। प्रमाण पत्र, नामांतरण, फाइल निस्तारण और वेतन से जुड़े मामलों में कोई प्रगति नहीं हो सकी। कई जिलों में कार्यालयों के बाहर लोगों की भीड़ और भीतर सन्नाटा एक साथ देखने को मिला। बताया यह गया कि 54 विभाग के 4 लाख से ज्यादा अधिकारी - कर्मचारी काम बंद - कलम बंद हड़ताल कर रहे है।
क्यों सड़कों पर उतरे कर्मचारी?
छत्तीसगढ़ अधिकारी - कर्मचारी फेडरेशन का कहना है कि कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर सरकार को कई बार ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले। समयमान वेतनमान, पदोन्नति, भत्तों और सेवा शर्तों से जुड़ी मांगें अब भी फाइलों में दबी हुई हैं। इसी नाराजगी के चलते कर्मचारियों ने यह कदम उठाया है। इसके आलावा फेडरेशन के पदाधिकारियों ने साफ कहा है कि यदि सरकार ने जल्द वार्ता कर समाधान नहीं निकाला, तो आंदोलन और व्यापक रूप लेगा। आने वाले दिनों में प्रदर्शन तेज करने और अनिश्चितकालीन हड़ताल का विकल्प भी खुला रखा गया है। फ़िलहाल सरकार को अधिकारी - कर्मचारियों की मांग पर विचार करने का समय दिया जा रहा है, इसलिए तीन दिनों की हड़ताल की जा रही है।
छत्तीसगढ़ अधिकारी - कर्मचारी फेडरेशन की 11 सूत्रीय मांग
1. केंद्र सरकार के समान कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) दिया जाए।
2. वर्ष 2019 से लंबित DA एरियर्स को कर्मचारियों के GPF खाते में समायोजित किया जाए।
3. विभिन्न विभागों की वेतन विसंगतियां दूर करने के लिए पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
4. 8, 16, 24 और 32 वर्ष में चार स्तरीय समयमान वेतनमान लागू किया जाए।
5. सहायक शिक्षक, सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी और नगरीय निकाय कर्मचारियों को समयमान वेतनमान व नियमित वेतन दिया जाए।
6. प्रदेश में अन्य भाजपा शासित राज्यों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा लागू की जाए।
7. अनुकंपा नियुक्ति निःशर्त लागू करते हुए 10% सीमा समाप्त की जाए।
8. मध्यप्रदेश की तर्ज पर 300 दिवस का अर्जित अवकाश नगदीकरण दिया जाए।
9. प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर सभी सेवा लाभ दिए जाएं और पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।
10. कर्मचारियों की कमी को देखते हुए सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष की जाए।
11. कार्यभारित, दैनिक वेतनभोगी, संविदा एवं अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए।
आम जनता सबसे ज्यादा परेशान
अधिकारी - कर्मचारियों की हड़ताल का सीधा असर आम लोगों पर पड़ा है। दूर-दराज से आए नागरिक बिना काम हुए लौटते नजर आए। सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराव का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। अब सबकी नजर सरकार के अगले कदम पर है — क्या बातचीत से यह गतिरोध टूटेगा या प्रशासनिक ठहराव और लंबा चलेगा?
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