जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के वैज्ञानिकों ने कैंसर उपचार में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है। अब तक कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी ही मुख्य विकल्प रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने शरीर में मौजूद सूक्ष्मजीवों की शक्ति पर शोध शुरू किया है। इसी क्रम में शोधकर्ताओं ने पाया कि जापानी ट्री फ्रॉग की आंत में रहने वाला बैक्टीरिया Ewingella americana कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है — वह भी बिना जेनेटिक बदलाव के।
प्रयोग और चौंकाने वाले परिणाम
प्रोफेसर एजिरो मियाको की टीम ने मेंढक, न्यूट और छिपकली जैसे जीवों से 45 तरह के आंतों के बैक्टीरिया अलग किए। इनमें से 9 बैक्टीरिया कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सक्षम पाए गए, लेकिन Ewingella americana सबसे ज्यादा प्रभावशाली साबित हुआ। जब इसे कोलोरेक्टल कैंसर से ग्रस्त चूहों में इंजेक्ट किया गया, तो केवल एक डोज में ट्यूमर पूरी तरह गायब हो गया। इसकी क्षमता कीमोथेरेपी दवा डॉक्सोरूबिसिन और आधुनिक इम्यूनोथेरेपी से भी अधिक प्रभावी दिखी।
कैसे काम करता है यह बैक्टीरिया?
यह बैक्टीरिया सीधे ट्यूमर के अंदर सक्रिय होकर कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में तेजी से बढ़ता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है। साथ ही यह शरीर की इम्यून कोशिकाओं — T सेल, B सेल और न्यूट्रोफिल्स — को सक्रिय करता है, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने वाले केमिकल छोड़ती हैं।
सुरक्षा परीक्षण और आगे की दिशा
अध्ययन में पाया गया कि यह बैक्टीरिया 24 घंटे के भीतर खून से साफ हो जाता है और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में नहीं रुकता। हल्की सूजन देखी गई, जो तीन दिन में स्वतः समाप्त हो गई। 60 दिनों की निगरानी में कोई गंभीर साइड-इफेक्ट नहीं मिला। हालांकि यह शोध अभी प्रारंभिक चरण में है, वैज्ञानिक इसे ब्रेस्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर पर भी आज़माने की योजना बना रहे हैं। यदि परिणाम सकारात्मक रहे, तो भविष्य में कैंसर का इलाज अधिक सुरक्षित, कम दर्द और प्राकृतिक हो सकता है।
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