गुजरात के वाडिनार में स्थित नायरा एनर्जी की रिफाइनरी लगाए गए यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने यूरोपीय संघ को स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता है। जो संयुक्त राष्ट्र के दायरे से बाहर हों।विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए।
गुजरात की यह रिफाइनरी यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के दायरे में आ गई है क्योंकि ईयू ने रूसी तेल निर्यात पर नई पाबंदियां लगा दी हैं। यूरोपीय संघ द्वारा इन पाबंदियों का मकसद रूस का युद्ध के लिए फंडिंग को रोकना है।
ईयू को भारत सरकार ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने कहा कि पहली बार, हम भारत में रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी को प्रतिबंध में शामिल कर कर रहे हैं। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता। भारत एक जिम्मेदार देश है और अपनी कानूनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सरकार ऊर्जा सुरक्षा को अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानती है।
60 डॉलर तय की गई रूसी तेल की कीमत
नए नियमों में रूसी तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय की गई है। इससे बाहर के देश पश्चिमी जहाजों और बीमा सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, 105 और जहाजों पर प्रतिबंध लगाया गया है। अब तक कुल 223 जहाजों पर प्रतिबंध लग चुका है।
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