


जनवरी में वाइट हाउस आने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत की परेशानियों को बढ़ा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध खत्म करवाने में नाकाम रहने वाले डोनाल्ड ट्रंप अब हर हाल में रूस की इकोनॉमी का गला घोंटना चाहते हैं। इसके लिए वो भारत और चीन के खिलाफ भारी भरकम टैरिफ लाने की बात कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के बाद नाटो के चीफ मार्क रूटे ने भी कहा है कि "अगर ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, तो उन पर सेकेंड्री सेंक्शन बहुत भारी पड़ सकते हैं। इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि "यदि रूस अगले 50 दिनों में यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए राजी नहीं होता, तो अमेरिका उन देशों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएगा, जो रूस से तेल, गैस, हथियार या कृषि उत्पाद खरीदते हैं।" इसे "सेकेंडरी टैरिफ" नाम दिया गया है, यानी यह सीधे रूस को नहीं, बल्कि रूस के व्यापारिक साझेदारों को चोट पहुंचाने की अमेरिका की रणनीति है।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत लगातार भारी मात्रा में रूस से तेल खरीदता आ रहा है। पश्चिमी देश भारत के रूस से तेल खरीदने की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन भारत आयात बढ़ाता रहा है। लेकिन ट्रंप प्रशासन के नये तेवर से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अमेरिकी व्यापार संबंध, दोनों संकट में आ सकते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से चीन, वियतनाम, तुर्की, ब्राजील और संयुक्त अरब अमीरात भी प्रभावित होंगे, जो रूस से अलग अलग सेक्टर में भारी भरकम कारोबार करते हैं।
अमेरिका के निशाने पर भारत क्यों है?
यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद ही पश्चिमी देशों ने रूस को व्यापारिक प्रतिबंधों में बांध दिया था। जिसके बाद भारत और चीन, रूस के सबसे बड़े तेल खरीददार बन गए। 2023 में, इन दोनों देशों ने रूस से समुद्री मार्ग से आने वाले क्रूड ऑयल के लगभग 85-90% हिस्से का आयात किया। अकेले भारत हर दिन 1.6 से 1.7 मिलियन बैरल कच्चा तेल रूस से खरीदता है, जो भारत की कुल दैनिक जरूरत का लगभग 35 प्रतिशत है। रूस भारत को भारी भरकम डिस्काउंट पर तेल बेचता है, ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत की ऊर्जा रणनीति पर सीधा हमला करती है। सेक्टर में भारी भरकम कारोबार करते हैं।