


अगर भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे समय के लिए तनाव को कम करने की औपचारिक प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है तो भारत को सैन्य तौर पर अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी। क्योंकि, पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ही ज्यादा मजबूत कर चुकी है। उन्हें 100-150 किलोमीटर दूर से भी एलएसी तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी और वह ये फासला चंद घंटों में तय कर सकते हैं।
LAC पर PLA के पास बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर
पिछले पांच वर्षों में पू्र्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक चीन ने जिस तरह से पूरे एलएसी पर सड़कें, पुल, सुरंगें और ठिकानें बना लिए हैं, पीएलए के जवान 100-150 किलो मीटर से आसानी से 2 से 3 घंटों में बुलाए जा सकते हैं। लेकिन, भारतीय सेना के साथ ऐसा नहीं है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर होने वाली चर्चा के दौरान दोनों मुल्कों की सैन्य वास्तविकताओं को भी ध्यान में रखना पड़ेगा। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे पर अभी दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और उसके लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया शुरू करना तय हुआ है।
पीएलए का सैन्य जमावड़ा अभी भी खतरनाक
सच्चाई ये है कि पीएलए के कुछ कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड पिछले कुछ महीनों में एलएसी से करीब 100 किलो मीटर पीछे जरूर हटे हैं, लेकिन अभी भी कई फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात हैं, जिसमें उनकी बॉर्डर डिफेंस रेजिमेंट भी शामिल हैं। प्रत्येक सीएबी में टैंकों के साथ करीब 4,500-5,000 जवान, बख्तरबंद वाहन, आर्टिलरी के अलावा अन्य वेपन सिस्टम के साथ ही सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम भी शामिल रहते हैं। एलएसी पर जवानों की तैनाती कम करने और उनकी वापसी के लिए सभी अतिरिक्त टुकड़ियों को उनके शांति काल वाले स्थायी ठिकानों पर वापसी करानी होगी। फिलहाल दोनों देश पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति कायम रखने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तरों पर बातचीत के लिए मौजूदा बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं।