मध्य प्रदेश में उद्योग क्रांति: संभावनाएं, चुनौतियाँ और मुख्यमंत्री मोहन यादव की भूमिका
मध्यप्रदेश, जो लंबे समय तक कृषि प्रधान राज्य के रूप में जाना गया है, अब उद्योगिक विकास की ओर तेज़ी से अग्रसर हो रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने "उद्योग क्रांति" का नारा दिया है। यह क्रांति केवल नारा नहीं बल्कि एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसके तहत निवेश, बुनियादी ढांचा, रोज़गार और टेक्नोलॉजी को केंद्र में रखकर नीति बनाई जा रही है।
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Sanjay Purohit
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मध्यप्रदेश, जो लंबे समय तक कृषि प्रधान राज्य के रूप में जाना गया है, अब उद्योगिक विकास की ओर तेज़ी से अग्रसर हो रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने "उद्योग क्रांति" का नारा दिया है। यह क्रांति केवल नारा नहीं बल्कि एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसके तहत निवेश, बुनियादी ढांचा, रोज़गार और टेक्नोलॉजी को केंद्र में रखकर नीति बनाई जा रही है।


निवेश की आकर्षक कोशिशें


मुख्यमंत्री मोहन यादव लगातार निवेशकों से संपर्क कर रहे हैं। हाल ही में हुए "इंवेस्ट एमपी" समिट में देश-विदेश के अनेक उद्यमियों ने भाग लिया और राज्य में निवेश की इच्छा जताई। राज्य सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम, अनुकूल नीतियाँ, टैक्स छूट, और भूमि उपलब्धता जैसी सुविधाओं को सरल बनाया है। इससे यह संकेत मिलता है कि निवेशक अब एमपी को एक संभावनाशील गंतव्य के रूप में देखने लगे हैं।

आधारभूत ढांचे में सुधार


उद्योग विकास के लिए बेहतर सड़कों, बिजली आपूर्ति, जल स्रोत और परिवहन व्यवस्था की आवश्यकता होती है। मोहन यादव सरकार ने औद्योगिक गलियारों (Industrial Corridors), स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और ग्रामीण औद्योगिक क्लस्टरों की योजना शुरू की है। विशेष रूप से इंदौर, भोपाल, देवास और ग्वालियर को आधुनिक औद्योगिक केंद्रों में विकसित किया जा रहा है।


युवा व कौशल विकास पर ध्यान


राज्य की बड़ी जनसंख्या युवा है, लेकिन बेरोज़गारी भी एक गंभीर समस्या है। इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए राज्य सरकार कौशल विकास मिशनों, आईटीआई अपग्रेडेशन और रोजगार मेले जैसे कार्यक्रम चला रही है। स्टार्टअप नीति भी लागू की गई है जिससे नवाचार और युवा उद्यमिता को बढ़ावा मिल सके।


चुनौतियाँ और सच्चाई


हालांकि सरकार की नीतियाँ कागज पर प्रभावशाली दिखती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत में कई बाधाएँ हैं—जैसे नौकरशाही की जटिलता, भूमि विवाद, औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और मजदूरों की उपलब्धता। इसके अलावा, पुराने उद्योगों की मंदी और MSME क्षेत्र में वित्तीय समस्याएँ भी चिंता का विषय हैं।


क्या मोहन यादव होंगे सफल?


अगर मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने प्रशासनिक दृष्टिकोण में निरंतरता बनाए रखते हैं, भ्रष्टाचार मुक्त और तेज़ निर्णय प्रणाली अपनाते हैं, तो वे निश्चित रूप से उद्योग क्रांति के सपने को साकार कर सकते हैं। लेकिन सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि क्या वे नीतियों को केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं रहने देंगे, बल्कि धरातल पर ईमानदारी से लागू भी करेंगे।


मध्यप्रदेश के पास प्राकृतिक संसाधन, मानव पूंजी और भौगोलिक स्थिति जैसे कई फायदे हैं। यदि मुख्यमंत्री मोहन यादव इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग कर पाते हैं और प्रशासनिक इच्छाशक्ति बनाए रखते हैं, तो राज्य निश्चित रूप से एक औद्योगिक शक्ति बन सकता है। यह क्रांति केवल आर्थिक नहीं होगी, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की ओर भी एक ठोस कदम होगी।

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